Haridwar Kanwar Yatra: कांवड़ यात्रा में खोए मासूम को पुलिस ने उसकी मां से मिलाया

श्रावण माह में कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड पहुंचते हैं। भीड़-भाड़ और उमंग के इस माहौल में कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए उत्तराखंड पुलिस दिन-रात मुस्तैद रहती है। इसकी एक बेमिसाल मिसाल मंगलौर क्षेत्र में देखने को मिली, जहां पुलिस की तत्परता और मानवीय संवेदना ने एक मां की गोद फिर से हरी कर दी।

Post Published By: Jay Chauhan
Updated : 19 July 2025, 2:55 AM IST
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Haridwar: श्रावण माह में कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड पहुंचते हैं। भीड़-भाड़ और उमंग के इस माहौल में कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए उत्तराखंड पुलिस दिन-रात मुस्तैद रहती है। इसकी एक बेमिसाल मिसाल मंगलौर क्षेत्र में देखने को मिली, जहां पुलिस की तत्परता और मानवीय संवेदना ने एक मां की गोद फिर से हरी कर दी।

जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले से 8 वर्षीय आरव अपने माता-पिता के साथ पहली बार गंगाजल लेने हरिद्वार आया था। विशाल जनसैलाब के बीच मंगलौर क्षेत्र में आरव अपनी मां से बिछड़ गया। मां का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। चारों तरफ उसे ढूंढने के बाद भी जब कहीं पता नहीं चला तो स्थानीय लोगों ने तुरंत बच्चे के बारे में मंगलौर पुलिस को सूचना दी।

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मंगलौर कस्बा चौकी प्रभारी बलबीर सिंह डोभाल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बिना एक पल गंवाए एसपीओ मोहम्मद नदीम और मोहम्मद सलमान के साथ एक विशेष टीम बनाई। बच्चे के गुमशुदा होने की सूचना मिलते ही पुलिस टीम ने पूरे क्षेत्र में चेकिंग अभियान शुरू कर दिया।

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भीड़ में बच्चा किस दिशा में गया होगा, इसके लिए टीम ने आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ की गई। कड़ी मशक्कत और सटीक निगरानी के चलते कुछ ही घंटों में पुलिस को सूचना मिली कि एक बच्चा गुड मंडी क्षेत्र में अकेला घूमता पाया गया है। पुलिस टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर बच्चे की पहचान की और सुरक्षित अपनी मां के पास पहुंचा दिया।

बेटे को देखते ही मां की आंखों से आंसू झर पड़े और चेहरे पर सुकून लौट आया। आरव के परिजनों ने मंगलौर पुलिस के इस मानवीय प्रयास की सराहना करते हुए उत्तराखंड पुलिस का तहे दिल से आभार जताया।

कांवड़ यात्रा एक वार्षिक धार्मिक उत्सव है जिसमें लाखों लोग भाग लेते हैं। इतनी बड़ी भीड़ में, बच्चों के खोने की घटनाएं होना स्वाभाविक है। हालांकि, प्रशासन और स्वयंसेवी संगठन इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हैं और बच्चों को उनके परिवारों से मिलाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं।

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