Haridwar: इटावा के कथावाचक मामले में उबाल, हरिद्वार में यादव समाज का उग्र प्रदर्शन

इटावा में कथावाचक मामले की आंच हरिद्वार तक पहुंच गई। आक्रोशित यादव समाज के लोगों ने घटना के विरोध में हरिद्वार में उग्र प्रदर्शन किया।

Post Published By: Jay Chauhan
Updated : 27 June 2025, 1:34 PM IST
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हरिद्वार: इटावा में एक कथावाचक के साथ हुई अमानवीय और दुर्भाग्यपूर्ण घटना के विरोध में गुरुवार को हरिद्वार में यादव समाज समेत अन्य समुदायों के लोगों ने ज़ोरदार और उग्र प्रदर्शन किया। इस घटना ने समाज के सभी वर्गों में आक्रोश की लहर दौड़ा दी है। विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी देखी गई और उन्होंने पीड़ित को न्याय दिलाने की मांग की।

प्रदर्शनकारियों ने शहर के प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थलों पर एकत्र होकर नारेबाजी की और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति के साथ अन्याय नहीं है, बल्कि यह समाज की गरिमा पर हमला है जिसे किसी भी हाल में सहन नहीं किया जाएगा।

इस विरोध में कई प्रमुख सामाजिक और राजनीतिक हस्तियों ने भाग लिया। प्रदर्शन का नेतृत्व श्री मोहन सिंह, श्री सुधीर सिंह और श्री रविराज ने किया। इनके साथ श्री पुष्पेंद्र, घनश्याम जी, आरती सिंह, बी. यादव, मुनिरका यादव, बैजनाथ यादव, अनिल यादव, सुनील यादव, करण सिंह यादव, मणि यादव, हरि सिंह यादव, संतोष यादव, अमित यादव, सत्येंद्र यादव, राजेश यादव, अभिषेक यादव, सुधीर यादव, लाल सिंह यादव, श्यामवीर यादव, राजकुमार यादव, विपिन पाल, प्रवीण धाकड़, बबलू यादव, रंजीत यादव, विष्णु यादव, राजीव राज यादव, शिवेंद्र यादव, विनय यादव, परवेज अली, और केशव यादव जैसे प्रमुख नामों की उपस्थिति दर्ज की गई।

प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई तो आंदोलन को और भी व्यापक रूप दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पीड़ित कथावाचक को सुरक्षा दी जाए और इस घटना की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।

इस दौरान स्थानीय नागरिकों ने भी प्रदर्शनकारियों का समर्थन करते हुए प्रशासन से न्याय की अपील की। सामाजिक संगठनों ने इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त कानून व्यवस्था की मांग की।

प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा लेकिन गुस्सा स्पष्ट रूप से नजर आया। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों की रक्षा कितनी गंभीरता से की जा रही है।

यादव समाज का यह आंदोलन न केवल एक कथावाचक के सम्मान की लड़ाई है, बल्कि पूरे समाज के आत्मसम्मान और न्याय के लिए आवाज़ है।

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