

हरिद्वार में ड्रग घोटाले का बड़ा मामला सामने आया हैं, जिससे औषधि विभाग सवालों के घेरे में आ गया हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
हरिद्वार: केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की मई 2025 रिपोर्ट ने उत्तराखंड की फार्मा इंडस्ट्री की नींव हिला दी है। देशभर में फेल पाई गई 128 दवाओं में अकेले उत्तराखंड की 14 दवाएं गुणवत्ता की कसौटी पर असफल रहीं। इनमें हरिद्वार और देहरादून की कई प्रतिष्ठित फार्मा कंपनियां शामिल हैं, जिनकी दवाएं गंभीर बीमारियों के इलाज में उपयोग की जा रही थीं। अब ये दवाएं लोगों की सेहत के लिए गंभीर खतरा बन चुकी हैं।
फेल दवाओं में बुखार, डायबिटीज, गैस्ट्रिक अल्सर, बैक्टीरियल इंफेक्शन, मानसिक विकार और नसों की कमजोरी जैसी बीमारियों से जुड़ी दवाएं शामिल हैं। जिन कंपनियों की दवाएं फेल हुई हैं, उनमें हिमालय मेडिटेक (सेलाकुई), एसवीपी लाइफ साइंसेज (देहरादून), प्योर एंड क्योर हेल्थकेयर, सुकांटिस बायोटेक, मलिक लाइफसाइंसेज, टैलेंट हेल्थकेयर (हरिद्वार), बजाज न्यूट्रास्युटिकल्स और हेलेक्स हेल्थकेयर (रुड़की) शामिल हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार रिपोर्ट आने के बाद औषधि विभाग ने संबंधित दवा बैच बाजार से वापस मंगवाए हैं, कुछ कंपनियों के लाइसेंस निलंबित किए गए हैं और दुकानों पर इनकी बिक्री पर रोक लगा दी गई है। निरीक्षकों को कड़ी निगरानी के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
मामले में सबसे बड़ा सवाल औषधि निरीक्षण प्रणाली की पारदर्शिता पर खड़ा हो रहा है। खासतौर पर हरिद्वार की ड्रग इंस्पेक्टर अनिता भारती के कार्यकाल पर उंगलियां उठ रही हैं, जिनके पास पिछले पांच वर्षों से विभाग की जिम्मेदारी है। स्थानीय फार्मा कारोबारियों का आरोप है कि अनिता भारती के समय में ऐसे कई मामले सामने आए, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब लोग इस पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।
वरिष्ठ फॉर्मासिस्ट डॉ. वी. शर्मा का कहना है, “भारत की दवाओं की गुणवत्ता पहले ही अंतरराष्ट्रीय निगरानी में है, और अब अगर राज्य स्तर पर भी ऐसी लापरवाही हो रही है, तो यह सीधे मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ है।”
जनता का भरोसा बहाल करने के लिए निष्पक्ष और सख्त जांच की आवश्यकता है। वरना हरिद्वार ‘औषधि नगरी’ से ‘ड्रग घोटाले की नगरी’ बनकर रह जाएगा।