

उत्तराखंड के सीमांत गांव में पिछले 18 दिनों से पानी का संकट गहरा गया है। 45 साल पुरानी पानी की टंकी जर्जर हो गई है, जिससे रिसाव हो रहा है और बोरवेल भी खराब है। जल संस्थान की लापरवाही ने गांववासियों के जीवन को कठिन बना दिया है।
सीमांत गांव में पानी के बिना जीने को मजबूर ग्रामीण
Dehradun: उत्तराखंड के सीमांत गांव में पिछले 18 दिनों से पानी की किल्लत है, जिसके चलते ग्रामीणों की दैनिक जिंदगी प्रभावित हो रही है। यहां की 45 साल पुरानी पानी की टंकी जर्जर हो चुकी है और अब इस टंकी से रिसाव हो रहा है। बोरवेल भी खराब हो गया है, जिससे जल आपूर्ति का कोई स्थिर स्रोत नहीं बचा।
गांववासियों का कहना है कि जल संस्थान द्वारा समय पर कोई सुधार कार्य नहीं किया जा रहा है। इसके कारण पानी की आपूर्ति में बाधा आ रही है और ग्रामीणों को पानी के लिए दूर-दूर भटकना पड़ रहा है। टंकी का रिसाव अब एक गंभीर समस्या बन गया है, क्योंकि इसके आसपास के घरों के लिए भी यह खतरे का कारण बन सकती है।
गांव के लोग 18 दिन से बिना पानी के जीवन जीने को मजबूर हैं। कई घरों में महिलाएं और बच्चे दिन-रात पानी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। बारिश के मौसम में स्थिति और भी जटिल हो गई है, क्योंकि जल स्रोतों की कमी और पानी की टंकी का रिसाव दोनों ने मिलकर संकट को और गहरा कर दिया है।
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गांव में जल संकट का मुख्य कारण पुरानी और जर्जर जल आपूर्ति प्रणाली है। 45 साल पुरानी टंकी अब अपना काम सही तरीके से नहीं कर पा रही है। इसके अलावा, बोरवेल का खराब होना और टंकी का रिसाव, इन समस्याओं को और बढ़ा रहे हैं। इन सबके बीच जल संस्थान की लापरवाही ने इस संकट को और भी गंभीर बना दिया है।
ग्रामीणों का मानना है कि यदि जल संस्थान समय रहते इस स्थिति का समाधान नहीं करेगा, तो आने वाले समय में यह संकट और बढ़ सकता है। उन्हें उम्मीद है कि संबंधित विभाग जल्द ही एक स्थायी समाधान निकालेगा, ताकि गांववासियों को राहत मिल सके और जल आपूर्ति बहाल हो सके।
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एक स्थायी समाधान के तौर पर पानी की टंकी की मरम्मत और बोरवेल की स्थिति को ठीक करना अनिवार्य है। साथ ही, गांव में एक नया जल स्रोत विकसित करने की आवश्यकता भी महसूस हो रही है। इस दिशा में सरकारी और निजी दोनों स्तर पर कार्रवाई की आवश्यकता है।