

हल्द्वानी में ‘अभ्युदय एक परिवर्तन’ संस्था द्वारा आयोजित भुट्टा पार्टी में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया। आयोजन का उद्देश्य मक्का, मडुवा, झिंगोरा जैसे पारंपरिक मोटे अनाजों को बढ़ावा देना और युवा पीढ़ी को फास्ट फूड से दूर करना है।
हल्द्वानी में भुट्टा प्रेमियों की लगी भीड़
Haldwani: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा खटीमा में हाल ही में भुट्टा भूनने और खाने की तस्वीरें सामने आने के बाद हल्द्वानी में 'अभ्युदय एक परिवर्तन' संस्था ने मोटे अनाज और पारंपरिक भोजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विशेष 'भुट्टा पार्टी' का आयोजन किया।
इस आयोजन में हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। भुट्टा पार्टी में मक्के के भुट्टे को विभिन्न फ्लेवर में परोसा गया, जिसे खासतौर पर स्थानीय स्वाद के अनुसार तैयार किया गया था।
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संस्था के अध्यक्ष भुवन जोशी ने बताया कि यह आयोजन पिछले दो वर्षों से किया जा रहा है, ताकि मडुवा, झींगोरा और मक्का जैसे पारंपरिक मोटे अनाजों को पुनः जनजीवन में शामिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि लोग फास्ट फूड और मोमोज-चाऊमीन जैसी अस्वास्थ्यकर चीजों से हटकर फिर से अपने पारंपरिक खानपान की ओर लौटें। मोटा अनाज न सिर्फ पौष्टिक होता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है।
भुट्टा पार्टी में मक्के के भुट्टे को मसाला, बटर, नींबू-मिर्च और तंदूरी जैसे फ्लेवर में तैयार किया गया था। इन अनोखे स्वादों ने युवाओं और बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक का दिल जीत लिया। वहीं दूसरी ओर, संस्था द्वारा तैयार किए गए मडुवा हलवा, झींगोरा दलिया और पहाड़ी चटनी जैसे व्यंजनों ने भी लोगों को पहाड़ी स्वाद से रूबरू कराया।
इस कार्यक्रम में कालाढूंगी विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत समेत कई राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र से जुड़े लोग भी शामिल हुए। बंशीधर भगत ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इस तरह के आयोजन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने में मददगार होंगे।
भुवन जोशी ने बताया कि नैनीताल और आसपास के क्षेत्रों में हर साल देश-विदेश से लाखों पर्यटक आते हैं। ये पर्यटक पहाड़ी भोजन और विशेष रूप से मक्के के भुट्टे का भरपूर आनंद लेते हैं। उन्होंने कहा कि यदि स्थानीय लोग मक्का की खेती को व्यवसायिक रूप दें, तो यह एक अच्छा स्वरोजगार बन सकता है। इसके लिए युवाओं को जागरूक करने की आवश्यकता है।
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