

हिंदी दिवस पर प्रोफेसर ललित तिवारी ने मातृभाषा के महत्व और हिंदी के सांस्कृतिक योगदान पर जोर दिया। उन्होंने हिंदी की पहचान, गौरव और वैश्विक पहुंच पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हिंदी का इतिहास संस्कृत से शुरू होकर प्राकृत और अपभ्रंश से आधुनिक खड़ी बोली तक विकसित हुआ और इसे भारतेंदु हरिश्चंद्र और महावीर प्रसाद द्विवेदी जैसे विद्वानों के प्रयासों से मानक रूप मिला।
हिंदी दिवस
Nainital: हिंदी दिवस पर देशभर में जश्न का माहौल है। इस मौके पर प्रोफेसर ललित तिवारी ने कहा कि हिंदी केवल हमारी भाषा नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान और गौरव की मूरत है। उन्होंने बताया कि हिंदी का इतिहास संस्कृत से शुरू होकर प्राकृत और अपभ्रंश से आधुनिक खड़ी बोली तक विकसित हुआ और इसे भारतेंदु हरिश्चंद्र और महावीर प्रसाद द्विवेदी जैसे विद्वानों के प्रयासों से मानक रूप मिला।
प्रोफेसर ललित तिवारी ने कहा कि 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा घोषित करना इस भाषा की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि आज हिंदी 150 से अधिक देशों में बोली जाती है और एक अरब से ज्यादा लोग इसे पढ़ते, लिखते और बोलते हैं। फिजी, नेपाल, मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर और जर्मनी जैसे देशों में भी हिंदी का इस्तेमाल होता है।
उन्होंने कहा कि हिंदी न केवल संवाद का माध्यम है बल्कि यह हमारी भावनाओं, परंपराओं और इतिहास को व्यक्त करने वाली भाषा है। प्रोफेसर ललित तिवारी ने सभी नागरिकों से अपील की कि वे अपनी मातृभाषा पर गर्व महसूस करें और इसे आने वाली पीढ़ियों तक संरक्षित रखें।