हरिद्वार में भगदड़ से पहले मां मनसा ने दिया था इशारा? लोककथाओं से जुड़ रहा मंदिर का रहस्य

हरिद्वार के मां मनसा मंदिर में मची भगदड़ एक सामान्य घटना नहीं मानी जा रही। यह वही मंदिर है जहां सैकड़ों वर्षों से देवी विषहरि की पूजा होती है। मान्यता है कि संकट से पहले देवी संकेत देती हैं—तो क्या इस बार भी कोई चेतावनी थी जिसे अनदेखा कर दिया गया?

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 27 July 2025, 2:31 PM IST
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Haridwar: उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित प्रसिद्ध मां मनसा मंदिर में हाल ही में भगदड़ की घटना ने श्रद्धालुओं को विचलित कर दिया। लेकिन इस घटना के पीछे सिर्फ भीड़ या अव्यवस्था नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक चेतावनी भी देखी जा रही है।

सूत्रों के अनुसार,  हरिद्वार का मनसा मंदिर ना सिर्फ भक्ति का केंद्र है, बल्कि यह देवी मनसा की उस शक्ति का प्रतीक भी है, जो आने वाले संकटों का पूर्वाभास देती हैं। लोक मान्यताओं और पुराणों में देवी मनसा को सिर्फ एक ‘सर्प देवी’ नहीं बल्कि विष, औषधि और चेतना की देवी माना गया है।

भगदड़ के एक दिन पहले, कुछ श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर में अचानक चिड़ियों का झुंड उड़ते देखा, तो कुछ ने मंदिर के निकट सांप देखे जाने की बात भी कही। स्थानीय पुजारियों का मानना है कि यह देवी की ओर से संकेत था—जैसा कि पुरातन कथाओं में बार-बार कहा गया है।

देवी मनसा का उल्लेख महाभारत से लेकर बंगाल की लोककथाओं तक फैला है। उनका नाम जरत्कारु, विषहरी और बिषोहरी के रूप में अलग-अलग क्षेत्रों में प्रसिद्ध है। विशेष बात यह है कि ये देवी संकट आने से पहले चेतावनी देती हैं, लेकिन जो उन्हें अनदेखा करता है, वह विपत्ति में फंस सकता है।

हरिद्वार का यह मंदिर पर्वतीय जनजातियों की आस्था से भी जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि वे मनसा को वनदेवी और औषधियों की अधिष्ठात्री देवी मानते हैं। उनका यह रूप आज भी पहाड़ों में जीवित है, जहां झाड़-फूंक और जड़ी-बूटियों के साथ मनसा की पूजा होती है।

पश्चिम बंगाल की ‘मनसा मंगल’ कथा में देवी जब अपनी पूजा करवाना चाहती हैं, तो चांद सौदागर उनका विरोध करता है। इस कथा में भी देवी चेतावनी देती हैं, लेकिन जब उसे नजरअंदाज किया जाता है तो विनाश होता है।

हरिद्वार की घटना को कई लोग ऐसे ही संकेत के रूप में देख रहे हैं—जहां श्रद्धालुओं की आस्था, देवी की चेतावनी और प्रशासन की लापरवाही का त्रिकोण जुड़ता है।

मंदिर प्रशासन का कहना है कि श्रद्धालुओं की संख्या अचानक बहुत बढ़ गई थी, लेकिन कुछ लोग यह भी दावा कर रहे हैं कि घटना से पहले मंदिर परिसर का वातावरण असामान्य रूप से भारी हो गया था।

तो क्या यह देवी का संकेत था?क्या यह वही चेतावनी थी, जिसका उल्लेख पुराणों, मनसा मंगल और हिमालय की पहाड़ियों में होता रहा है? यह सवाल अब सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक बहस का विषय बन चुका है।

Location : 
  • Haridwar

Published : 
  • 27 July 2025, 2:31 PM IST