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बद्रीनाथ के सीमांत गांव माणा में देवभूमि सांस्कृतिक महोत्सव 2025 का शुभारंभ शनिवार को हुआ। लेफ्टिनेंट जनरल डी.जे. मिश्रा, बद्रीनाथ मंदिर समिति उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती और सूचना अधिकारी मनीष श्रीवास्तव ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
देवभूमि की धरती पर संस्कृति का महोत्सव
Chamoli: हिमालय की गोद में बसे सीमांत गांव माणा में शनिवार को देवभूमि सांस्कृतिक महोत्सव 2025 का भव्य शुभारंभ हुआ। इस आयोजन ने उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, कला और परंपराओं को एक साथ मंच पर उतार दिया। ऊंचे पर्वतों और ठंडी हवाओं के बीच पूरा माणा गांव संगीत, नृत्य और लोकगीतों की गूंज से भर उठा।
महोत्सव का उद्घाटन भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल डी.जे. मिश्रा (उत्तर भारत एरिया) के करकमलों से किया गया। उनके साथ बद्रीनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती और सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी मनीष श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे। तीनों गणमान्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर देवभूमि महोत्सव का औपचारिक शुभारंभ किया।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक ढोल-दमाऊं की थाप और भगनौली लोकगीतों से हुई। स्थानीय कलाकारों ने “जय बद्रीविशाल” और “नंदा देवी की झोली” जैसे लोकनृत्यों की मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। बच्चों और महिलाओं की समूह नृत्य प्रस्तुतियों ने दर्शकों को तालियाँ बजाने पर मजबूर कर दिया।
भारत के अंतिम गांव माणा में परंपरा और पर्यटन का संगम
देवभूमि सांस्कृतिक फेस्टिवल 2025 में छलकी उत्तराखंड की आत्मा।#DevbhoomiFestival #ManaVillage #IncredibleIndia pic.twitter.com/m97eqoftPt— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) October 25, 2025
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माणा, मल्ला और पांडुकेश्वर क्षेत्र के कलाकारों ने अपने क्षेत्रीय गीतों से कार्यक्रम में विशेष रंग भरा। मंच पर लोकगायक हीरा सिंह राणा और गीता बिष्ट ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को गीत-संगीत के माध्यम से जीवंत किया।
महोत्सव में उत्तराखंड पर्यटन विभाग द्वारा लगाए गए विविध स्टॉलों ने विशेष ध्यान खींचा। इन स्टॉलों में स्थानीय हस्तशिल्प, ऊनी वस्त्र, जड़ी-बूटियाँ और पारंपरिक व्यंजन प्रदर्शित किए गए।

साथ ही, “Explore Mana- Last Village of India” थीम पर तैयार पर्यटन प्रदर्शनी में स्थानीय संस्कृति और सीमांत जीवन की झलक पेश की गई। यहां आगंतुकों को माणा गांव के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व से परिचित कराया गया, जो भारत का अंतिम गाँव माना जाता है।
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मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल डी.जे. मिश्रा ने कहा, “उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत केवल राज्य की पहचान नहीं, बल्कि पूरे देश का गौरव है। माणा जैसे सीमांत क्षेत्र में इस तरह का आयोजन हमारी सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।”
उन्होंने स्थानीय युवाओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अपनी परंपराओं और लोककला को आगे बढ़ाना हर पीढ़ी की जिम्मेदारी है। इस अवसर पर उन्होंने आयोजकों और कलाकारों को बधाई दी।