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PF और RD दोनों ही सुरक्षित निवेश विकल्प हैं, लेकिन निवेश अवधि और रिटर्न के हिसाब से इनके फायदे अलग हैं। जानिए किसे चुनना आपके लिए फायदेमंद रहेगा।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
New Delhi: भारतीय निवेशक हमेशा से ऐसी योजनाओं की तलाश में रहते हैं, जो सुरक्षित होने के साथ-साथ अच्छा रिटर्न भी दें। इस मामले में कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और रिकरिंग डिपॉजिट (RD) दो लोकप्रिय निवेश विकल्प बनकर उभरते हैं। दोनों ही स्कीम में निवेशकों की जरूरत और निवेश की अवधि के हिसाब से अलग-अलग फायदे हैं। अगर आप निवेश करने का सोच रहे हैं, तो जानना जरूरी है कि कौन-सा ऑप्शन आपके लिए बेहतर रहेगा।
कर्मचारी भविष्य निधि मुख्य रूप से नौकरीपेशा लोगों के लिए लंबी अवधि का सुरक्षित निवेश विकल्प है। इस योजना में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों 12 प्रतिशत योगदान करते हैं। इसके अलावा, सरकार हर साल इस राशि पर ब्याज देती है। 2025 के लिए EPF की ब्याज दर लगभग 8.25 प्रतिशत है।
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EPF का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें निवेश की गई राशि पर टैक्स छूट भी मिलती है। लंबे समय तक निवेश के कारण EPF अक्सर रिकरिंग डिपॉजिट (RD) की तुलना में बेहतर रिटर्न देता है। हालांकि, इसमें पैसे निकालने के लिए कुछ विशेष परिस्थितियां तय हैं, जैसे शादी, गंभीर बीमारी या बच्चों की शिक्षा। इस वजह से EPF को लॉन्ग टर्म निवेश के लिए ज्यादा उपयुक्त माना जाता है।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
रिकरिंग डिपॉजिट उन निवेशकों के लिए बेहतर है जो छोटी-छोटी राशियों में नियमित बचत करना चाहते हैं और इस पर रिटर्न पाना चाहते हैं। RD अकाउंट आसानी से बैंक या पोस्ट ऑफिस में खोला जा सकता है। निवेश की अवधि 6 महीने से लेकर 10 साल तक हो सकती है।
RD में ब्याज दर आमतौर पर 6 से 7.5 प्रतिशत के बीच होती है। RD में ब्याज पर टैक्स लगता है और बैंक ब्याज दरों में बदलाव होने पर रिटर्न प्रभावित हो सकता है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे शॉर्ट टर्म गोल के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और नियमित बचत की आदत डालने में मदद मिलती है।
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अगर आप लंबे समय तक निवेश करने और सुरक्षित रिटर्न पाना चाहते हैं तो EPF आपके लिए बेहतर विकल्प है। वहीं, अगर आप छोटी राशि से नियमित निवेश करना चाहते हैं और शॉर्ट टर्म रिटर्न चाहते हैं तो RD बेहतर रहेगा। किसी भी निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार से परामर्श करना हमेशा फायदेमंद रहता है।