Dehradun: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देहरादून में दृष्टिबाधित बच्चों के साथ मनाया जन्मदिन

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तीन दिवसीय उत्तराखंड के दौरे पर हैं। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Jay Chauhan
Updated : 20 June 2025, 8:50 PM IST
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देहरादून: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर उत्तराखंड के दौरे पर हैं। उन्होंने शुक्रवार को अपने 67वें जन्मदिन पर देहरादून में पुनर्निर्मित प्रेसिडेंशियल रिट्रीट का औपचारिक उद्घाटन किया और एक सुविधा केंद्र में दृष्टिबाधित बच्चों से मुलाकात की। इस दौरान वहां मौजूद नेत्रहीन बच्चों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के 67वें जन्मदिन के अवसर पर एक गीत गाकर उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार राष्ट्रपति निकेतन 1 जुलाई से आम जनता के लिए खुल जाएगा। यह शहर के बीचों-बीच वास्तुकला, इतिहास और भूदृश्य डिजाइन के अनूठे संगम का अनुभव करने का दुर्लभ अवसर प्रदान करेगा।

बता दें कि राष्ट्रपति निकेतन को पहले राष्ट्रपति आशियाना या राष्ट्रपति निवास के नाम से जाना जाता था, इसकी समृद्ध विरासत 1838 से चली आ रही है। जब यह गवर्नर जनरल के अंगरक्षक घोड़ों के लिए ग्रीष्मकालीन शिविर के रूप में काम करता था। इस साइट पर बंगला 1920 में यूनिट के कमांडेंट के लिए बनाया गया था और 1976 में इसे राष्ट्रपति निवास के रूप में नामित किया गया था।

उन्होंने राष्ट्रपति निकेतन में एक आगंतुक सुविधा केंद्र, एक कैफेटेरिया और एक स्मारिका दुकान सहित सार्वजनिक सुविधाओं का भी उद्घाटन किया।
राष्ट्रीय दृष्टिबाधित व्यक्तियों के सशक्तीकरण संस्थान (एनआईईपीवीडी) भी पहुंचीं। यहां उन्होंने बच्चों से मुलाकात की। इस दौरान राष्ट्रपति की आंखों में आंसू आ गए, जब उनके जन्मदिन पर दृष्टिबाधित बच्चों के एक समूह ने उनके लिए गीत गाया।

राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि दिव्यांग बच्चों में कोई ना कोई खास प्रतिभा जरूर होती ही है। इस दौरान उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने के लिए सरकार द्वारा योजनाएं बनाई गई हैं जो उन्हें समान अवसर देने और सशक्त बनाने के उद्देश्य से बनाई गई हैं।

उन्होंने संस्थान से जुड़े सभी लोगों की सराहना की। बता दें कि शनिवार (21 जून) को राष्ट्रपति अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में राज्य सरकार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेंगी, जो स्वास्थ्य और पारंपरिक भारतीय स्वास्थ्य प्रथाओं के प्रति उनके समर्थन को दर्शाता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि "मैं अपने आंसू नहीं रोक पाई। वे बहुत खूबसूरती से गा रहे थे। वे अपने दिल से गा रहे थे। बच्चों की आवाज में सच्चाई और दिल्ली में गहराई थी, जिससे वह बहुत प्रभावित हुई हैं।

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