

उत्तराखंड़ के हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में रविवार को हुए दर्दनाक हादसे ने श्रद्धालुओं को गहरे सदमे में डाल दिया है। भगदड़ में घायल एक और महिला की मौत से मृतकों की संख्या अब 9 पहुंच गई है।
हरिद्वार: उत्तराखंड़ के हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में रविवार को हुए दर्दनाक हादसे ने श्रद्धालुओं को गहरे सदमे में डाल दिया है। भगदड़ में घायल एक और महिला की मौत से मृतकों की संख्या अब 9 पहुंच गई है। बाराबंकी निवासी 55 वर्षीय फूलमती, जो हादसे में गंभीर रूप से घायल हुई थीं, ने एम्स ऋषिकेश में इलाज के दौरान मंगलवार सुबह दम तोड़ दिया।
29 श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल
जानकारी के मुताबिक, तीन दिन पहले रविवार की सुबह बड़ी संख्या में श्रद्धालु मनसा देवी मंदिर की ओर पैदल मार्ग से जा रहे थे। सावन के महीने में भारी भीड़ के कारण अचानक भगदड़ मच गई। देखते ही देखते श्रद्धालुओं के बीच चीख-पुकार मच गई और लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। इस भयावह भगदड़ में आठ लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि करीब 29 श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हुए थे। हादसे के बाद घायलों को तत्काल नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, लेकिन कुछ की हालत लगातार गंभीर बनी हुई है।
पुलिस बल की तैनाती नहीं...
हादसे के बाद से ही तीर्थनगरी हरिद्वार में श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय लोगों और तीर्थ यात्रियों का कहना है कि सावन जैसे भीड़भाड़ वाले महीनों में पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती नहीं की गई थी। वहीं मंदिर मार्ग पर अव्यवस्था और भीड़ प्रबंधन की कमी इस बड़े हादसे की प्रमुख वजह मानी जा रही है।
प्रशासन ने हादसे की जांच के आदेश..
मंदिर समिति और प्रशासन ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं। घायलों को हर संभव चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन मृतकों के परिजनों में शासन-प्रशासन के प्रति भारी नाराजगी देखी जा रही है। मृतक श्रद्धालुओं के परिवारों को उचित मुआवजा और घायलों के बेहतर इलाज की मांग को लेकर तीर्थ यात्रियों और सामाजिक संगठनों ने आवाज उठाई है।
हरिद्वार प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए आगे विशेष रणनीति बनाने की बात कही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या हर बड़े हादसे के बाद उठने वाला यह मुद्दा सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहेगा या श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम भी उठाए जाएंगे। फिलहाल श्रद्धालुओं में भय का माहौल है और लोग अपनी आस्था की यात्रा में सुरक्षा की गारंटी चाहते हैं।
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