

अमेठी के एआरटीओ ऑफिस में अगर आपको कोई काम करवाना है तो यह आसान नहीं होगा। कार्यालय में चारो तरफ भले ही कैमरे लगे हो लेकिन काम बंद कमरे में बाहरी व्यक्तियों से करवाया जा रहा है।
अमेठी के एआरटीओ ऑफिस
अमेठी: उत्तर प्रदेश के अमेठी के एआरटीओ ऑफिस में अगर आपको कोई काम करवाना है तो यह आसान नहीं होगा। कार्यालय में चारो तरफ भले ही कैमरे लगे हो लेकिन काम बंद कमरे में बाहरी व्यक्तियों से करवाया जा रहा है। सोमवार को एआरटीओ कार्यालय की निचले तल पर बने काउंटर पर कोई भी कर्मचारी मौजूद नहीं था तो अलग-अलग कामों से आए लोग परेशान नजर आए।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक, कार्यालय के कमरा नंबर 9 में जहां फाइलें रखी थी उस कमरे में करीब 5 से 6 बाहरी लोग कुछ आवेदन फ़ाइलो पर काम करते नजर आए। इस दौरान मीडिया का कैमरा देखकर बाहरी व्यक्ति कुछ तो भागने लगे कुछ अपना चेहरा छिपाते नजर आए।
डीएल की कीमत करीब 1400 रुपए
कार्यालय में तैनात नियमित कर्मियों ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि साहब कुछ बाहरी लोगों को अपने साथ लेकर आते हैं जो काम कर रहे हैं। वह लोग कौन हैं कहां के हैं इसकी जानकारी उनको नहीं है लेकिन प्रमुख काम बंद कमरे में उन्हीं की द्वारा किया जा रहा है। एआरटीओ की कार्यशैली कार्यालय ही नहीं बाहर लोगों के बीच भी चर्चा का विषय बनी हुई है। पहले तो कहा जाता था कि एआरटीओ कार्यालय में बिना दलाल कोई कार्य संभव नहीं है लेकिन इस समय बिना बाहरी व्यक्तियों से समन्वय काम करवाना नाकाम साबित हो रहा है। सूत्र बताते है कि जिस डीएल की कीमत करीब 1400 रुपए है उसे बनवाने के लिए लोगों को 7000 से 8000 रुपए से अधिक खर्च करने पड़ रहे है। इतना ही नही काम करवाने ऑफिस आ रहे लोगो को बैरंग लौटना पड़ा रहा है और आफिस के सभी विंडो खाली थे।
सभी लोग अपनी सीट पर बैठे हुए
सुबह कार्यालय के प्रथम तल पर दो विंडो कर्मचारी नगर आए। पड़ोसी जिले प्रतापगढ़ से ट्रैक्टर के रजिस्ट्रेशन का अप्रूवल लेने आये तारकेश्वर सिंह ने कहा कि वो पिछले तीन दिनों से कार्यालय आ रहे है लेकिन काम नही हो रहा है। एआरटीओ के पास गए तो बताया गया कि बाबू के पास जाइये और जब बाबू के पास पहुँचा तो कह रहे है कि बाबू महाकाल गए है। वही मऊ से पहुंचे गाड़ी की परमिट बनवाने गौरी शंकर भी निराश होकर आरटीओ कार्यालय से वापस लौटे। एआरटीओ ने कहा कि फिलहाल हमारे कार्यालय में कोई भी व्यक्ति आपको कार्यालय में नहीं है। हमारे यहां सभी लोग अपनी सीट पर बैठे हुए है जबकि एआरटीओ कार्यालय में अंदर बंद कमरे में बाहर के लोग काम करते हुए साफ नज़र आ रहें है।