

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के 29वें दीक्षांत समारोह में कुछ ऐसा हुआ जिसने हर तरफ हड़कंप मचा दिया है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालय प्रशासन की खिंचाई करते हुए लापरवाही और धीमी रफ्तार से चल रहे निर्माण कार्यों पर नाराजगी जताई।
राज्यपाल आनंदी पटेल ने अंधेरे में बांटे गोल्ड मेडल
Jaunpur: जौनपुर स्थित वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में आयोजित 29वें दीक्षांत समारोह के दौरान एक अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई। जब राज्यपाल और कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल छात्रों को गोल्ड मेडल दे रही थीं, तब अचानक बिजली आपूर्ति बंद हो गई और समारोह स्थल अंधेरे में डूब गया। इसके बावजूद राज्यपाल ने अंधेरे में ही गोल्ड मेडल वितरित करने की प्रक्रिया जारी रखी। इस दृश्य को देखकर वहां मौजूद कई लोग मोबाइल की फ्लैश लाइट ऑन कर दिए, जिससे थोड़ी रोशनी हो सकी।
यह घटना दीक्षांत समारोह का सबसे चर्चित और विवादास्पद हिस्सा बन गई। इस हादसे के बाद राज्यपाल ने विश्वविद्यालय प्रशासन की कड़ी आलोचना की और बुरी तरह नाराजगी व्यक्त की।
बिजली गुल होने के बाद, जब राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल बांटे, तब उन्होंने विश्वविद्यालय की लापरवाही पर सख्त शब्दों में अपनी नाराजगी जताई। समारोह के बाद जब उन्होंने संबोधन दिया, तो उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को जमकर लताड़ते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने कई योजनाएं बनाई हैं, लेकिन धरातल पर कोई ठोस काम नहीं हुआ। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री उषा योजना और केंद्र सरकार से करोड़ों रुपये मिलने के बावजूद यहां के विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं। इतने बड़े अनुदान के बावजूद यहां कोई बदलाव क्यों नहीं आया?"
आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालय के निर्माण कार्यों की धीमी रफ्तार पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 2018 से 13 भवन निर्माणाधीन हैं, जिनमें से एक भी पूरा नहीं हो पाया। विशेष रूप से चार मंजिला मूल्यांकन भवन का निर्माण वर्षों से अधूरा पड़ा है। इस पर उन्होंने जल निगम कंपनी पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कार्रवाई की चेतावनी दी।
दीक्षांत समारोह में संबोधित करते हुए आनंदीबेन पटेल
राज्यपाल ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय परिसर में शराब और ड्रग्स के मामलों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "देशभर में विश्वविद्यालयों में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। यहां भी इसकी जांच जरूरी है।"
इसके अलावा, राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के छात्रावासों में भी गड़बड़ियों की बात की। उन्होंने बताया कि महात्मा ज्योतिबा फुले छात्रावास के 204 कमरे छात्रों के बजाय सुरक्षाकर्मियों को दिए गए हैं और इनसे शुल्क भी लिया जा रहा है। इस पर उन्होंने सख्त आपत्ति जताई और कहा कि "छात्रों के लिए बने कमरे कर्मचारियों को देना शिक्षा संस्थान की मूल भावना के खिलाफ है।"
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जब विश्वविद्यालय के कुलपति ने दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय की उपलब्धियां गिनाईं, तो राज्यपाल की नाराजगी से यह स्पष्ट हो गया कि प्रशासन के अंदर कई समस्याएं हैं। दीक्षांत समारोह का यह वाकया अब पूरे विश्वविद्यालय में चर्चा का विषय बन गया है और राज्यपाल के सख्त तेवरों ने प्रशासन की पोल खोल दी।
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