

यूपी के गोरखपुर में पशु व्यापारी का किसानों से करोड़ों रुपए की ठगी का मामला सामने आया है। विश्वास की आड़ में दर्जनों किसानों के साथ हुई ठगी की घटना से किसान बरबाद हो गए हैं।
Gorakhpur: गोरखपुर जिले के दक्षिणांचल क्षेत्र से एक ठगी का बड़ी मामला सामने आया है। हरपुर बुदहट थाना क्षेत्र में एक कथित पशु व्यापारी ने पांच वर्षों से कमाए विश्वास की आड़ में दर्जनों किसानों को करोड़ों रुपये का चूना लगा दिया।
भरोसे और भाईचारे की डोर को तोड़ते हुए यह व्यापारी 27 अगस्त 2025 को अचानक परिवार व सामान समेत फरार हो गया। अब किसान खुद को ठगा और बर्बाद महसूस कर रहे हैं और न्याय की गुहार लेकर थाने और अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं।
वर्षों के विश्वास को बनाया ठगी का हथियार
ग्रामीणों ने बताया कि यह व्यापारी पिछले चार सालों से क्षेत्र में अस्थायी रूप से रह रहा था और गाय-भैंस सहित अन्य पशुओं की खरीद-फरोख्त का कारोबार करता था। उसने किसानों को भरोसा दिलाया कि उधार में पशु लेकर बेचने के बाद पूरी रकम चुका देगा।
किसानों ने भी उसे अपना मानकर लाखों के पशु और नकदी सौंप दी। लेकिन 27 अगस्त की रात वह परिवार सहित सामान व पशु लेकर अचानक गायब हो गया।
जब किसानों ने उसके विक्रमजोत स्थित भतीजे मोहम्मद मोसीन कुरैशी और सहयोगी बहलू से संपर्क किया तो दोनों ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि वह वहां नहीं आया। तभी किसानों को अहसास हुआ कि उनके साथ एक बड़ा धोखा हो चुका है।
मुजफ्फरनगर से आए थे ठग
सूत्रों के मुताबिक, यह गिरोह मुजफ्फरनगर जनपद के लोई गांव का रहने वाला है। मुख्य आरोपी हसन कुरैशी के साथ शादास, आवेश, काला, शायलम, रामी और आशिक कुरैशी भी शामिल बताए जा रहे हैं।
यह सभी लंबे समय तक गांव-गांव घूमकर किसानों का विश्वास जीतते रहे और फिर योजनाबद्ध तरीके से लाखों की ठगी कर फरार हो गए।
किसानों के उड़ाई इतनी रकम
पीड़ित किसानों का नुकसान सुनकर हर कोई दंग है। प्रयाग यादव से 2,08,500 रुपये, रिंकू से 1,05,000 रुपये, राम आशीष से 1,67,000 रुपये (एक भैंस सहित), बाल किसुन से 75,000 रुपये, जितेंद्र कुमार से 75,500 रुपये, धर्मेंद्र कुमार से 1,34,000 रुपये, महेंद्र से 12,000 रुपये, दिनेश यादव से 1 लाख रुपये (चोकर व भूसा सहित), अनूप से 25,000 रुपये, सूर्यांशु से 2 लाख, विनोद यादव से 48,000 रुपये (एक भैंस), रामकृष्ण से 50,000 रुपये (गाड़ी भाड़ा), अरविंद से 60,000 रुपये, रंजीत यादव से 25,000 रुपये, तालुकदार से 1,23,000 रुपये (दो भैंस), विजय कुमार से 1,03,000 रुपये, अरविंद यादव से 80,000 रुपये और नरसिंह यादव से 1,19,000 रुपये (एक पड़वा सहित) ऐंठ लिए गए। कुल नुकसान करोड़ों रुपये तक पहुंच गया है।
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प्रयाग यादव ने रोते हुए बताया कि हमने उसे परिवार का हिस्सा मानकर भरोसा किया था, लेकिन उसने हमें बर्बाद कर दिया। अब हमारी रोजी-रोटी तक खतरे में है।
पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल
पीड़ित किसानों ने सामूहिक रूप से हरपुर बुदहट थाने में तहरीर दी, लेकिन पुलिस ने लिखित लेन-देन या पुख्ता सबूत न होने का हवाला देकर कार्रवाई में सुस्ती दिखाई।
किसानों का कहना है कि ऐसे ठग लिखित कागजात नहीं रखते ताकि आसानी से बच निकलें। यही कारण है कि अब किसान सामूहिक गवाही देने और एकजुट होकर आवाज उठाने को मजबूर हैं।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर गहरा असर
इस ठगी न केवल दर्जनों किसानों को कंगाल बना बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रहार किया है। पशुपालन किसानों के लिए आय का बड़ा साधन है, लेकिन इस घटना ने भरोसे और आजीविका दोनों पर चोट पहुंचाई है।
क्षेत्रीय पशुपालक संघ ने इस मामले में पुलिस और प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
किसानों का स्पष्ट कहना है कि यदि आरोपियों को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया, तो ऐसे गिरोहों का मनोबल और बढ़ेगा। अब पूरा क्षेत्र न्याय की उम्मीद लगाए बैठा है और ठगी करने वालों की गिरफ्तारी की राह देख रहा है।
पुलिस का कहना है कि जांच चल रही है और सबूत जुटाए जा रहे हैं।