

चंदौली जनपद के चकिया तहसील के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में हैं लेकिन चार दिन बाद भी नहीं पहुंची कोई मदद। ग्रामीणों ने भाजपा विधायक और प्रशासन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।
बाढ़ से बेहाल गांव के लोग
Chandauli: जिले के चकिया तहसील अंतर्गत बाढ़ग्रस्त गांवों में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं, लेकिन चार दिन बीत जाने के बाद भी न तो तहसील प्रशासन की ओर से कोई राहत सामग्री पहुंचाई गई और न ही कोई जनप्रतिनिधि पीड़ितों का हाल जानने आया। इस लापरवाही और उदासीनता के खिलाफ बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों ने पानी से घिरे गांवों में खड़े होकर जोरदार प्रदर्शन किया।
शनिवार रात से हो रही भारी बारिश और बांधों से छोड़े गए पानी के चलते करेमुआ, भैसही समेत चकिया तहसील के दर्जनों गांव जलमग्न हो गए हैं। ग्रामीणों के अनुसार, घरों में पानी घुस गया है, फसलें बर्बाद हो चुकी हैं, मवेशी बेहाल हैं और खाने-पीने की वस्तुएं खत्म हो रही हैं। इसके बावजूद अब तक प्रशासन की ओर से कोई राहत नहीं पहुंची।
Chandauli Flood: चकिया तहसील के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में हैं लेकिन चार दिन बाद भी नहीं पहुंची कोई मदद। ग्रामीणों ने भाजपा विधायक और प्रशासन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।#ChandauliFloods #FloodReliefCrisis #RuralProtest #ChakiaTehsil pic.twitter.com/cOAauLMkqN
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) August 28, 2025
ग्रामीणों ने चकिया के भाजपा विधायक कैलाश आचार्य और जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रशासनिक अमले की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए। उनका कहना है कि चुनावों के वक्त नेता गांव-गांव घूमते हैं, लेकिन जब वाकई मदद की जरूरत होती है, तो कोई नजर नहीं आता।
बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों की बदहाल स्थिति को उजागर करते हुए समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष सत्यनारायण राजभर ने खुद मौके से एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया, जिसमें पानी में घिरे ग्रामीणों को मदद के लिए आवाज उठाते हुए देखा जा सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार केवल कागजों पर विकास करती है, जमीनी हकीकत इससे कहीं दूर है।
सपा नेता ने कहा, सरकार और प्रशासन की लापरवाही से ग्रामीण नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। ये सिर्फ बाढ़ नहीं, इंसानियत की भी तबाही है।
ग्रामीणों के आरोप हैं कि न तो किसी लेखपाल ने दौरा किया, न ही किसी स्वास्थ्य टीम या राहत वाहन की व्यवस्था हुई है। बच्चों को दूध तक नसीब नहीं हो रहा, बुजुर्ग बीमार हैं और सड़कों पर पानी भर जाने के कारण कहीं आना-जाना तक मुमकिन नहीं है।
प्रसासन की राह की बाट जोहते लोग
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि जल्द कोई राहत कार्य नहीं शुरू हुआ तो वे मजबूरन सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि इस उपेक्षा के खिलाफ वह एकजुट होकर जनप्रतिनिधियों का घेराव करेंगे।
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प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा कुछ टीमों को अलर्ट पर रखा गया है और जलस्तर घटने के बाद राहत सामग्री पहुंचाने की योजना बनाई जा रही है।
लेकिन सवाल यही है- जब तक सहायता पहुंचेगी, क्या तब तक ये गांव खुद को बचा पाएंगे?