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यूपी 2027 चुनाव से पहले सपा महिला वोट बैंक को साधने में जुट गई है। अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर महिला नेतृत्व की तस्वीरें साझा करते हुए ‘स्त्री सम्मान-समृद्धि योजना’ का संकेत दिया। सपा का PDA फार्मूला अब आधी आबादी को केंद्र में रखकर तैयार किया जा रहा है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव
Lucknow: उत्तर प्रदेश में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल अब तेज़ होती दिखाई दे रही है। हालांकि चुनाव में अभी समय है, लेकिन पार्टियां अपनी रणनीति पर काम शुरू कर चुकी हैं। इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने महिला वोटरों पर फोकस बढ़ाकर सियासी माहौल को और गर्म कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं की बढ़ती चुनावी भागीदारी ने सभी दलों को नए सिरे से रणनीति बनाने पर मजबूर किया है और सपा भी इससे अछूती नहीं है।
अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर सपा की महिला सांसदों डिंपल यादव, इकरा हसन और प्रिया सरोज की तस्वीर साझा की। इस पोस्ट के माध्यम से उन्होंने नारी शक्ति को प्रतिनिधित्व देने और उन्हें सशक्त करने का संदेश दिया। उन्होंने लिखा कि नारी शक्ति का विकास कहने से नहीं, उन्हें सच्चा प्रतिनिधित्व देने से होगा।
सपा अध्यक्ष ने अपनी पोस्ट में विस्तार से बताया कि उनकी पार्टी के PDA (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) फार्मूले में ‘A’ यानी ‘आधी आबादी’ को विशेष रूप से शामिल किया गया है। अखिलेश यादव ने लिखा कि PDA में शामिल हर स्त्री चाहे बच्ची हो, युवती हो या महिला को सामाजिक और आर्थिक रूप से सम्मान देना उनका संकल्प है। उन्होंने घोषणा की कि सपा सरकार बनने पर ‘स्त्री सम्मान-समृद्धि योजना’ लाई जाएगी, जिसके माध्यम से महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता, सुरक्षा और अवसर प्रदान किए जाएंगे।
पिछले कुछ चुनावों के आंकड़े इस तथ्य को मजबूती से साबित करते हैं कि महिला मतदाताओं का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। बिहार, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में हालिया चुनावों में महिलाओं ने बड़ी संख्या में मतदान किया और जिन पार्टियों ने महिलाओं के लिए योजनाएं घोषित कीं, उन्हें सीधा फायदा मिला। उत्तर प्रदेश में भी महिला वोटरों की संख्या और उनका चुनावी रुझान पार्टियों की जीत-हार तय करने में अहम भूमिका निभाता है।
सपा की राजनीति पर नज़र रखने वाले जानकार इसे 2027 के चुनाव की तैयारी का एक अहम कदम मान रहे हैं। अखिलेश यादव इस बात को भलीभांति समझते हैं कि महिलाएं न सिर्फ एक बड़ा वोट बैंक हैं, बल्कि उनका वोट अक्सर निर्णायक असर डालता है। BJP की ओर से जारी की गई महिलाओं से जुड़ी योजनाएं जैसे उज्ज्वला योजना, कन्या सुमंगला, स्वच्छ भारत मिशन इत्यादि ने पिछले चुनावों में महिला वोटरों को सत्तारूढ़ दल की ओर झुकाने का काम किया था।
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अखिलेश यादव ने तस्वीर शेयर करते हुए जिस तरह महिला सांसदों डिंपल यादव, इकरा हसन, प्रिया सरोज का जिक्र किया, उससे यह संदेश देने की कोशिश की गई कि सपा महिलाओं को नेतृत्व में महत्व दे रही है। यह रणनीति कांग्रेस के "लाड़ली बहना" मॉडल और अन्य दलों की महिला-केंद्रित रणनीतियों के समानांतर एक बड़े राजनीतिक संकेत के रूप में देखी जा रही है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में सपा महिलाओं को केंद्र में रखकर नई योजनाओं और घोषणाओं का खाका पेश कर सकती है। सूत्र बताते हैं कि पार्टी महिलाओं के लिए पेंशन, आर्थिक सहयोग, सेल्फ-हेल्प समूहों को बढ़ावा, सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता और सुरक्षा तंत्र मजबूत करने जैसे मुद्दों पर काम कर रही है। यदि ऐसा होता है तो 2027 का चुनाव काफी हद तक महिला मतदाताओं की प्राथमिकताओं के इर्द-गिर्द घूमता नजर आएगा।
पिछले वर्षों में देखा गया है कि महिला वोटर अक्सर अपने परिवार से अलग होकर अपनी स्वतंत्र पसंद के आधार पर मतदान करती हैं। यही कारण है कि महिलाओं को लुभाने की रणनीतियां राजनीतिक दलों के लिए पहले से ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गई हैं। सपा की यह कोशिश सफल होगी या नहीं, यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन इतना तय है कि आगामी चुनावों में महिलाओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रहने वाली है।