

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करने के लिए सहमति दी है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह एक नीतिगत फैसला है, लेकिन अगर सरकारी स्कूलों को बंद किया जा रहा है, तो इस पर सुनवाई करना आवश्यक है।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स: इंटरनेट)
New Delhi/Lucknow News: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 10 हजार से अधिक कम छात्रों वाले प्राइमरी स्कूलों को अन्य स्कूलों में विलय करने के फैसले के खिलाफ सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की है। यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था। अब सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले को शीघ्र सूचीबद्ध करने की बात कही है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करने के लिए सहमति दी है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह एक नीतिगत फैसला है, लेकिन अगर सरकारी स्कूलों को बंद किया जा रहा है, तो इस पर सुनवाई करना आवश्यक है। याचिकाकर्ता तैय्यब खान सलमानी की ओर से पेश अधिवक्ता प्रदीप यादव ने इस मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।
इसके विरोध में उठ रहे सवाल
उत्तर प्रदेश सरकार के निर्णय के तहत राज्य में कुल 1.3 लाख प्राथमिक विद्यालयों में से 10,827 स्कूलों को दूसरे स्कूलों में विलय करने का प्रस्ताव है। इस फैसले को लेकर याचिकाकर्ताओं ने गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इस विलय प्रक्रिया के कारण बच्चों को एक किलोमीटर से अधिक पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ेगा, जो बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है। याचिकाकर्ताओं ने इसे संविधान के अनुच्छेद 21ए और बच्चों के मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) 2009 के खिलाफ बताया है।
लड़कियों को स्कूल जाने में कठिनाई होगी
उनका यह भी कहना है कि इस विलय के परिणामस्वरूप ग्रामीण इलाकों में बच्चों को शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा। खासकर लड़कियों को स्कूल जाने में कठिनाई होगी, क्योंकि वे घर से दूर स्थित स्कूलों में कैसे जाएंगी, यह एक बड़ा सवाल है।