

सोनापति ने 2022 में ग्राम प्रेमपुर से जमीन खरीदी और कब्जा किया। बाद में विक्रेता नौमी लाल ने शेष भूमि का हिस्सा लखनऊ निवासी अनिमेष जैन को कूटरचित तरीके से बेच दिया, जिसमें जमीन को सड़क से सटा दिखाकर बैनामा कराया गया।
फतेहपुर कोतवाली क्षेत्र
Barabanki: फतेहपुर कोतवाली क्षेत्र के ग्राम झरसवां की रहने वाली सोनापति पत्नी स्वर्गीय प्रेम कुमार ने वर्ष 2022 में ग्राम प्रेमपुर के गाटा संख्या-7 से दो अलग-अलग रजिस्ट्रियों के जरिए जमीन खरीदी थी। उन्होंने उस जमीन पर कब्जा भी हासिल कर लिया। लेकिन जमीन के विक्रेता नौमी लाल ने बाद में उस शेष भूमि का एक हिस्सा लखनऊ निवासी अनिमेष जैन को बेच दिया। आरोप है कि यह कूटरचित तरीका था, जिसमें जमीन को सड़क से सटा हुआ दिखाकर बैनामा कराया गया।
20 अगस्त को अनिमेष जैन, उसके पिता विद्युत कुमार, विक्रेता नौमी लाल, राजेन्द्र प्रसाद और अन्य लोग सोनापति की जमीन पर पहुंचे और वहां बन रही बाउंड्रीवाल तोड़ दी। उन्होंने निर्माण सामग्री चोरी की और जातिसूचक गालियों के साथ पीड़िता को जान से मारने की धमकी भी दी। इस घटना की सूचना पुलिस को दी गई, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं हुई।
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राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने 25 अगस्त को फतेहपुर पुलिस को निर्देश दिया कि पीड़िता की रिपोर्ट के आधार पर तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए। आयोग ने यह भी कहा कि यदि पुलिस रिपोर्ट दर्ज नहीं करती है, तो डीएम और एसपी को तलब किया जाएगा। आयोग के इस सख्त रुख के बाद पुलिस ने नौमी लाल, प्रवेश और एक दर्जन अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली।
हालांकि, सोनापति का आरोप है कि पुलिस ने उसकी तहरीर में फेरबदल कर अनिमेष जैन का नाम ही हटा दिया, जबकि वह इस पूरे विवाद में मुख्य आरोपी है। पीड़िता ने बताया कि पुलिस ने दोबारा तहरीर लिखवाई और उसके बाद ही रिपोर्ट दर्ज की गई। इस मामले में नामजद आरोपी अनिमेष जैन और अन्य लोग पुलिस की पकड़ से दूर हैं।
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फतेहपुर कोतवाली प्रभारी संजीत कुमार सोनकर ने कहा कि मुकदमा दर्ज हो चुका है और जांच चल रही है। उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी से बात किए बिना और अधिक जानकारी देना संभव नहीं है। फतेहपुर के इस मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली और अनुसूचित जाति आयोग के बीच की कार्रवाई ने विवाद को और बढ़ा दिया है। पीड़िता की शिकायतों को गंभीरता से लेकर आरोपियों के खिलाफ पूरी जांच और उचित कार्रवाई की आवश्यकता है। अभी तक मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है, जो जांच की सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।