

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जनपद से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जातीय जनगणना की मांग स्वीकार होने पर धन्यवाद जुलूस निकाला। पूरी खबर के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
जुलूस निकलता हुआ (सोर्स- रिपोर्टर)
लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिल से एक बड़ी खबर सामने आई है, जो आपके होश उड़ा देगा। बता दें कि जिला कांग्रेस कमेटी ने जातीय जनगणना के प्रस्ताव को केंद्र सरकार द्वारा स्वीकार किए जाने पर धन्यवाद जुलूस निकाला।
सैकड़ो कार्यकर्ताओं ने लिया जुलूस में भाग
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, जिला कांग्रेस कमेटी के जिला अध्यक्ष पहलाद पटेल के नेतृत्व में कई सैकड़ो कार्यकर्ताओं ने इस जुलूस में भाग लिया। यह जुलूस जिला कांग्रेस भवन से शुरू हुआ।
गांधी की प्रतिमा पर माला अर्पण के बाद कार्यक्रम हुआ समाप्त
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की मूर्तिपर माला अर्पण भी किया। इसके बाद शहिद पंडित राज नारायण मिश्रा के स्मारक स्थल पर पहुंचकर उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। कंपनी बाग में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माला अर्पण के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ।
जिला अध्यक्ष ने कार्यक्रम को किया संबोधित
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जिला कांग्रेस कमेटी के जिला अध्यक्ष प्रहलाद पटेल ने संबोधित किया। कांग्रेस की अध्यक्ष प्रहलाद पटेल ने कहा कि राहुल गांधी की यह बहुत बड़ी जीत है। राहुल गांधी लगातार सदन में जाति जनगणना की बात उठा रहे थे। अब केंद्र सरकार को यह मांग माननी पड़ी है। प्रहलाद पटेल ने केंद्र सरकार से जातीय जनगणना को वैज्ञानिक और सार्थक रूप से जल्द पूरा करने की मांगकी।
कार्यक्रम में मौजूद रहे ये दिग्गज नेता
इस दौरान कार्यक्रम में कांग्रेस के जिला अध्यक्ष प्रहलाद पटेल, रामकुमार वर्मा, रामकुमार मिश्रा, संध्या जायसवाल, मंजू मिश्रा ,मोहन चंद्र,प्रेम कुमार वर्मा, नवाज खान ,डॉक्टर रहीस अहमद आज सैकड़ो कार्यकर्ता मौजूद रहे।
क्या है जातीय जनगणना ?
कई लोग इस बात से अनजान होंगे कि जातीय जनगणना होता क्या है, तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जनगणना के आधार पर जाति आधारित डेटा एकत्र करना है। यानी राष्ट्रीय जनगणना के आधार पर जातीय पहचान की जाती है और व्यवस्थित तरीके से आंकड़े जुटाए जाते हैं। बता दें कि भारत में पहली जनगणना 1881 में हुई थी और उस समय भारत की आबादी 25.38 करोड़ थी। उस साल से ही हर दस साल में जनगणना होती है। वहीं, 1941 में जातीय आंकड़े एकत्र किए गए लेकिन इस डाटा को सार्वजनिक नहीं किया गया।