धार्मिक एकता की मिसाल बना महराजगंज का तबरेज, हजारों किलोमीटर पैदल चलकर किया चार धर्मों के प्रमुख स्थानों का दर्शन

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जनपद का सुभाष नगर निवासी तबरेज अली ने ऐसा कार्य कर दिखाया है जो आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Rohit Goyal
Updated : 5 June 2025, 6:03 PM IST
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महराजगंज: उत्तर प्रदेश के महराजगंज जनपद का सुभाष नगर निवासी तबरेज अली ने ऐसा कार्य कर दिखाया है जो आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार तबरेज ने भारत के चार प्रमुख धर्मों इस्लाम, सिख, हिंदू और ईसाई के सबसे बड़े धार्मिक स्थलों की लगभग 4500 किलोमीटर लंबी यात्रा पैदल तय करके देश को भाईचारे, आपसी सौहार्द और एकता का अमूल्य संदेश दिया है और हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, आप में सब भाई भाई वाली कविता को सच साबित करने का काम किया है।

चार धार्मिक स्थलों की पैदल यात्रा

तबरेज की यह ऐतिहासिक यात्रा महराजगंज से पैदल चलकर दिल्ली स्थित जामा मस्जिद से आरंभ हुई। इसके बाद उन्होंने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर, फिर उत्तराखंड के केदारनाथ धाम और अंत में गोवा के Basilica of Bom Jesus चर्च में जाकर यात्रा पूरी की। यह चार महीने की कठिन पैदल यात्रा केवल एक शारीरिक चुनौती नहीं थी, बल्कि एक वैचारिक यात्रा भी थी जो सभी धर्मों को करीब से समझने और जोड़ने का प्रयास थी।

रास्ते में समर्थन भी मिला और कठिनाइयाँ भी

यात्रा के दौरान तबरेज को कभी पैरों में छाले, तो कभी लोगों की आलोचनाएं झेलनी पड़ीं लेकिन हर कठिनाई को पार करते हुए उन्होंने अपने उद्देश्य से समझौता नहीं किया। एक बार जामा मस्जिद में एक गलतफहमी के कारण उन्हें रोका गया, लेकिन जल्द ही स्थिति साफ हो गई और उन्हें आगे बढ़ने दिया गया। वहीं रास्ते में पड़ने वाले कई मंदिरों में पंडितों ने उन्हें अपने पास बुलाकर भोजन कराया, जो आपसी सम्मान और सौहार्द का प्रतीक है।

हर धर्म को समझो, तभी बढ़ेगा सम्मान

तबरेज का कहना है कि हर धर्म की धार्मिक पुस्तकों को पढ़कर ही हम दूसरे धर्मों की भावना को समझ सकते हैं। जब हम समझेंगे, तभी सम्मान करेंगे और तब ही सच्ची एकता संभव होगी। तबरेज ने यह भी बताया कि उनका मकसद सिर्फ यात्रा करना नहीं, बल्कि धर्मों के बीच की दूरी को खत्म करना और दिलों को जोड़ना था।

पिता ने जताया बेटे पर गर्व

तबरेज के पिता रमज़ान अली ने बेटे की इस पहल पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, आज जब समाज में धर्म के नाम पर नफरत फैल रही है, तब मेरे बेटे ने इतनी दूर पैदल चलकर देश को जोड़ने का कार्य किया है और सबको आपस में मिलकर रहने का संदेश दिया है। यह हम सबके लिए गर्व का विषय है।

भारत की विविधता में छिपी है सच्ची एकता

तबरेज की यह अनोखी यात्रा आज के दौर में एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि भारत की असली ताकत उसकी विविधता में नहीं, बल्कि उस विविधता में छिपी एकता में है। तबरेज ने यह सिद्ध कर दिखाया कि अगर इरादा नेक हो, तो हर मजहब मिलकर चल सकता है और देश को मजबूती दे सकता है।

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