

निचलौल–सिसवा मार्ग से राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) बलहीखोर तक सड़क न बनने से छात्र-छात्राओं और अध्यापकों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कई बार प्रार्थना पत्र और आदेश के बावजूद निर्माण कार्य अधर में लटका है। जिसको लेकर ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से मिलकर सड़क बनवाने की मांग की है। जानिए डाइनामाइट न्यूज पर पूरी खबर
डीएम से मिलकर सड़क बनवाने की उठी मांग
Maharajganj: जिले के निचलौल–सिसवा मुख्य मार्ग से ग्रामसभा बलहीखोर स्थित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) तक जाने वाली सड़क आज भी कच्ची है। करोड़ों की लागत से बने इस महत्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थान तक पक्की सड़क न होने से छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और आम राहगीरों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। बरसात के दिनों में यह मार्ग कीचड़ और जलभराव से पूरी तरह अवरुद्ध हो जाता है, जिससे पठन-पाठन की प्रक्रिया तक प्रभावित होती है।
गौरतलब है कि बलहीखोर आईटीआई का निर्माण वर्ष 2014 में शुरू हुआ और वर्ष 2016 में एडमिशन की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। 2018 में इसका शिफ्टिंग कार्य भी पूरा हो गया। इसके बावजूद आज तक संस्थान तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो पाया। यहां तक कि खण्डंजा भी न बनने से यह रास्ता पुराने जमाने की कच्ची सड़क की तरह बना हुआ है।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और समाजसेवी राधेश्याम मौर्या ने दर्जन भर ग्रामीणों के साथ जिलाधिकारी से मिलकर सड़क निर्माण को मांग की है।
सड़क क्षतिग्रस्त को लेकर छात्रों का कहना है कि बरसात में जब पानी भर जाता है तो कक्षा तक पहुंचना बेहद कठिन हो जाता है। कई बार बाइक और साइकिल से आने वाले छात्र फिसलकर गिर जाते हैं और चोटिल हो जाते हैं। शिक्षक भी इसी समस्या से परेशान रहते हैं। परिणामस्वरूप पढ़ाई का वातावरण प्रभावित होता है और संस्थान की गरिमा पर प्रश्नचिह्न लगता है।
इस समस्या के समाधान के लिए अब तक कई स्तरों पर प्रयास किए गए। 06 दिसम्बर 2021 को उपजिलाधिकारी निचलौल को प्रार्थना पत्र दिया गया। इसके बाद 24 सितम्बर 2022 को तत्कालीन जिलाधिकारी को भी आवेदन सौंपा गया। 02 जनवरी 2024 को तहसील दिवस में भी फिर से गुहार लगाई गई। इतना ही नहीं, 21 सितम्बर 2022 को तत्कालीन जिलाधिकारी ने उपायुक्त मनरेगा को कच्ची सड़क का खण्डंजा कराने का निर्देश भी दिया था, लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो सकी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च कर इस पिछड़े क्षेत्र में आईटीआई का निर्माण तो हुआ, लेकिन सड़क न होने से इसका महत्व आधा रह गया है। अगर जल्द ही सड़क निर्माण की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह संस्थान अपने उद्देश्य को पूरा करने में असफल हो जाएगा। इस मौके पर गोपाल सेन, गजेंद्र समेत तमाम लोग। मौजूद रहे।
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