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सोनभद्र के डाला में अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट से फैल रही दुर्गंध और प्रदूषण को लेकर स्थानीय लोगों ने सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया। निवासियों और व्यापारियों ने कचरा जलाने की समस्या और स्वास्थ्य पर पड़ते प्रभाव के खिलाफ अपनी मांगें रखीं।
व्यापारियों और निवासियों का धरना (फोटो सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)
Sonbhadra: सोनभद्र के डाला में स्थानीय लोगों ने अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। धरने में व्यापारियों ने भी अपनी दुकानें बंद कर हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि प्लांट पिछले लगभग एक साल दस महीने से लगातार गीला और सूखा कचरा जला रहा है, जो बाहरी जिलों से लाया जाता है। इस कचरे के जलने से निकलने वाली दुर्गंध पूरे वातावरण को प्रदूषित कर रही है और नगरवासियों के स्वास्थ्य तथा जनजीवन पर गंभीर असर डाल रही है।
स्थानीय निवासियों, जन प्रतिनिधियों और समाजसेवियों ने विगत वर्षों में कई बार जिला प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराया है। हालांकि, जांचें होने के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। लोग बताते हैं कि जब अधिकारी निरीक्षण के लिए आते हैं, तो कंपनी उस दिन कचरा नहीं जलाती और दुर्गंध को छिपाने के लिए सेंट का छिड़काव कर देती है। इससे प्रशासन को गलत रिपोर्ट दी जाती है। कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क करने पर उनका फोन नहीं उठता, जिससे उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।
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विशाल गुप्ता, स्थानीय निवासी ने आरोप लगाया कि कंपनी कचरा जलाने के दौरान केमिकल डालने का दावा करती है, जिससे बदबू फैलती है। उन्होंने बताया कि एक बार एसडीएम और नगर अध्यक्षा के साथ कंपनी के दौरे के दौरान उन्होंने देखा कि कचरा ले जाने वाली गाड़ियां खुली थीं और बदबू छिपाने के लिए उन पर सेंट का छिड़काव किया जा रहा था। विशाल गुप्ता ने यह भी कहा कि इलाहाबाद और कानपुर से आने वाले कचरे में मृत जानवर भी होते हैं, जिससे दुर्गंध और अधिक फैलती है। स्थानीय लोगों ने अल्ट्राटेक के कन्वेयर बेल्ट से भी प्रदूषण फैलने की शिकायत की। उनका कहना है कि कन्वेयर पर न तो जाली लगी है और न ही पानी का छिड़काव किया जाता है, जिससे धूल पूरे वातावरण में फैलती है। धूल और ध्वनि प्रदूषण से आसपास के लोगों का जीना मुहाल हो गया है और खेत की फसलें भी बर्बाद हो रही हैं।
अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट (फोटो सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)
अनुज कुमार, एक और स्थानीय निवासी ने बताया कि प्लांट बाहर से कचरा मंगवाता है, जिससे गटर के चैंबर जैसी दुर्गंध आती है। उन्होंने कहा कि रोजाना दो-तीन गाड़ियां कचरे की आती हैं और शाम के समय दुर्गंध इतनी बढ़ जाती है कि बच्चे बाहर नहीं निकल पाते। उन्होंने यह भी बताया कि एक बार कचरे की गाड़ी में सड़ा हुआ मरा कुत्ता भी पाया गया था। अनुज कुमार, जो प्लांट से मात्र 50 कदम दूर रहते हैं, खुद सांस लेने में दिक्कत महसूस कर रहे हैं। स्थानीय लोगों ने कई विभागों में शिकायतें दर्ज कराई हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अधिकारियों का कहना है कि प्लांट के पास कचरा जलाने की अनुमति है। निवासियों ने सवाल उठाया कि अनुमति का मतलब क्या किसी का घर और स्वास्थ्य खतरे में डालना है?
गोविंद भारद्वाज, ग्राम पंचायत सदस्य बिजली मारकुंडी ने बताया कि वे पिछले करीब एक साल से प्रदूषण से परेशान हैं। उन्होंने कंपनी पर नियमों का पालन न करने का आरोप लगाया। उनके अनुसार, कंपनी सुबह, दोपहर और शाम को अत्यधिक प्रदूषण फैलाती है, क्योंकि वह बाहर से आने वाले कचरे को जलाती है। स्थानीय चौकी, एसडीएम और डीएम को भी ज्ञापन के माध्यम से इस मामले में हस्तक्षेप करने की सूचना दी गई थी।
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स्थानीय निवासियों का कहना है कि स्थिति में सुधार होने के बजाय वे और अधिक परेशान हो गए हैं। शाम के समय बाजार में चलना भी मुश्किल हो जाता है। कचरा जलाने की समस्या के कारण कई लोग बीमार पड़ चुके हैं। इस मुद्दे पर व्यापारी और आम नागरिक दोनों धरने में शामिल थे। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी बात नहीं मानी गई, तो वे आगे की रणनीति बनाएंगे, जिसमें दिल्ली के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) तक जाने की तैयारी भी शामिल है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि उनका मुख्य उद्देश्य प्रदूषण और दुर्गंध से निजात पाना है, ताकि उनके स्वास्थ्य, बच्चों और फसलों को नुकसान न पहुंचे। उनका कहना है कि प्रशासन और कंपनी को इस गंभीर समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।