सोनभद्र में चौंकाने वाला मामला, बोलेरो बनी आपातकालीन डिलीवरी रूम; गाड़ी में गूंजी किलकारी

सोनभद्र के चोपन ब्लॉक में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में एक प्रसूता महिला ने बोलेरो में ही बच्चे को जन्म दिया। एम्बुलेंस न मिलने के कारण ग्रामीणों को निजी वाहन का सहारा लेना पड़ा। आशा कार्यकर्ता भी मौके पर मौजूद थी।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 7 September 2025, 1:20 PM IST
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Sonbhadra: सोनभद्र जिले के चोपन ब्लॉक के ओबरा डिग्री कॉलेज के पास एक प्रसूता महिला ने गंभीर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण बोलेरो वाहन में ही नवजात को जन्म दिया। महिला के साथ आशा कार्यकर्ता भी मौजूद थी, लेकिन एम्बुलेंस की गैरमौजूदगी ने ग्रामीणों को निजी वाहन का सहारा लेने पर मजबूर कर दिया। वाहन चालक महेंद्र सिंह ने बताया कि उनके क्षेत्र में एम्बुलेंस नहीं जाती, जिसके कारण वे निजी वाहन से ओबरा परियोजना अस्पताल की ओर निकले। रास्ते में महिला ने बच्चे को जन्म दिया।

ग्रामीणों की दिक्कतें और एम्बुलेंस सेवा का अभाव

महेंद्र सिंह ने बताया कि पहले भी कई बार एम्बुलेंस को बुलाने का प्रयास किया गया, लेकिन खराब रास्तों का हवाला देकर सेवा से इनकार कर दिया गया। ग्रामीणों ने बार-बार कॉल करके सुविधा मांगी, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। रात के समय तो एम्बुलेंस तो पूरी तरह अनुपस्थित रहती है।

मजबूर होकर वे निजी साधन से अस्पताल जाते हैं, जिससे खर्चा भी बढ़ जाता है। इस क्षेत्र में डिलेवरी के ऐसे कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, जो स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर कमी को दर्शाते हैं।

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स्वास्थ्य विभाग की उपेक्षा और ग्रामीणों की परेशानी

पिछले दिनों बीजपुर क्षेत्र में भी इसी प्रकार की घटना हुई थी, जहां नवजात ने खुले आसमान के नीचे जन्म लिया था। इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग की खूब किरकिरी हुई थी, लेकिन अब भी स्थिति जस की तस है। ग्रामीणों का सवाल है कि अगर प्रसव के दौरान कोई अनहोनी होती तो जिम्मेदार कौन होता? स्वास्थ्य विभाग मामले से अनभिज्ञता दिखा कर पल्ला झाड़ रहा है, जबकि डबल इंजन सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने का दावा करती है।

बोलेरो बनी डिलीवरी रूम

आदिवासी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली

सोनभद्र जिले के आदिवासी क्षेत्र की जनता, जो अरबों का राजस्व देती है, अब भी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में असहाय है। ग्रामीणों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग जानबूझकर सरकारी सुविधाओं की उपलब्धता नहीं कराता, जिससे मरीज प्राइवेट अस्पतालों की ओर बढ़ें और उनकी जेब भरे। यह गंभीर स्थिति स्वास्थ्य विभाग की नीतियों पर सवाल उठाती है।

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सोनभद्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की इस विफलता से ग्रामीण असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि प्रशासन को ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देनी होगी। बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, समय पर एम्बुलेंस सेवा और जागरूकता से ही इस संकट को दूर किया जा सकता है। वरना अनहोनी की स्थिति में कई और परिवारों को ऐसी ही तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है।

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