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रामपुर की MP-MLA कोर्ट ने दो पैन कार्ड मामले में सपा नेता आज़म खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को दोषी ठहराते हुए बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट कार्रवाई के बाद दोनों को हिरासत में ले लिया गया है और जल्द ही सज़ा का ऐलान होने वाला है। यह केस 2019 में दर्ज हुआ था।
सपा नेता आज़म खान और बेटा अब्दुल्ला दोषी करार
Rampur: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर बड़ा मोड़ आया है। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री आज़म खान और उनके बेटे व पूर्व विधायक अब्दुल्ला आज़म को दो पैन कार्ड मामले में रामपुर स्थित स्पेशल MP-MLA मजिस्ट्रेट कोर्ट ने दोषी करार दिया है। सोमवार, 17 नवंबर को सुनाए गए इस फैसले ने 2019 में दर्ज हुए बहुचर्चित केस को एक महत्वपूर्ण दिशा दे दी है। अदालत के निर्णय के बाद दोनों को कोर्ट परिसर में ही हिरासत में ले लिया गया, जबकि कुछ ही देर बाद सजा की अवधि घोषित की जाएगी।
इस मामले की शुरुआत वर्ष 2019 में हुई थी, जब रामपुर से तत्कालीन बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला आज़म ने दो अलग-अलग जन्मतिथियों के आधार पर दो पैन कार्ड बनवाए हैं। आरोपों के अनुसार, अब्दुल्ला के एक पैन कार्ड में जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 दर्ज है, जबकि दूसरे में 30 सितंबर 1990 लिखी गई है। आरोप था कि फर्जी और कूटरचित दस्तावेजों के सहारे पैन कार्ड बनवाकर उसका इस्तेमाल बैंक खातों, आयकर दस्तावेजों और निर्वाचन प्रक्रिया में किया गया।
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— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) November 17, 2025
आरोपों की गंभीरता को देखते हुए 6 दिसंबर 2019 को सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज हुई। पुलिस ने जांच के बाद अब्दुल्ला आज़म के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिसमें उनके पिता आज़म खान को भी सह-आरोपी बनाया गया। अभियोजन पक्ष ने अदालत में दावा किया कि पैन कार्ड बनवाने में जालसाजी और आपराधिक साजिश की गई, जबकि बचाव पक्ष ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया।
काफी समय से चल रही सुनवाई के बाद 7 नवंबर को अदालत ने फैसला सुनाने के लिए 17 नवंबर की तारीख तय की थी। इस दौरान दोनों पक्षों की दलीलें विस्तार से सुनी गईं। आज़म खान हाल ही में 23 सितंबर को सीतापुर जेल से जमानत पर रिहा हुए थे, लेकिन अब फैसले ने उनके लिए फिर से जेल जाने की संभावना बढ़ा दी है।
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बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना, जिन्होंने यह मामला दर्ज कराया था, फैसले के समय अदालत में मौजूद रहे। उनके अनुसार, "न्यायालय का फैसला सत्य की जीत है और कानून से ऊपर कोई नहीं।" उसी समय, सपा खेमे में फैसले को लेकर चिंता और राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।