

उत्तर प्रदेश की बहुचर्चित 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण लागू करने में हुई कथित गड़बड़ियों को लेकर मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। लंबे समय से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे अभ्यर्थी सोमवार को सुनवाई की आस लगाए बैठे हैं। आंदोलनकारी अभ्यर्थियों ने सरकार से पक्ष मजबूती से रखने की अपील की है।
69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण विवाद
New Delhi: उत्तर प्रदेश की 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण नीति को लेकर उपजा विवाद अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर है। इस मामले में सोमवार, 21 जुलाई को सुनवाई होनी तय है, जिससे हजारों प्रभावित अभ्यर्थियों को न्याय की नई उम्मीद जगी है। अभ्यर्थियों का आरोप है कि भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमों का सही ढंग से पालन नहीं किया गया, जिससे आरक्षित वर्ग के सैकड़ों उम्मीदवार वंचित रह गए।
हाईकोर्ट ने दिया था अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला
इस मुद्दे को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इस मामले में स्पष्ट रूप से आरक्षित वर्ग के पक्ष में फैसला सुनाया था। पटेल का कहना है कि इसके बावजूद सरकार ने उस आदेश को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया, जिससे मामला अब सुप्रीम कोर्ट में जा पहुंचा है। उन्होंने कहा आरक्षण की विसंगति के कारण हम वर्षों से दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। हाईकोर्ट, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट भी हमारे पक्ष में है, फिर भी हमें न्याय नहीं मिल पा रहा।
सरकार से न्यायिक पक्ष मजबूत रखने की मांग
अभ्यर्थियों ने राज्य सरकार से मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट में इस प्रकरण में उनके पक्ष को मजबूती से रखा जाए ताकि उन्हें उनका वैधानिक अधिकार मिल सके। पटेल ने कहा कि सरकार की लापरवाही और निष्क्रियता के कारण यह मामला लंबित होता चला गया, जिससे हजारों अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है।
मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर लगाई सुनवाई की गुहार
विवादित भर्ती प्रक्रिया से प्रभावित अभ्यर्थियों ने अब सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर सुनवाई जल्द सुनिश्चित करने की अपील की है। छात्र संगठनों की ओर से ईमेल और रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से भेजे गए पत्रों में उन्होंने विस्तार से बताया है कि किस प्रकार आरक्षण के प्रावधानों में अनदेखी की गई। पत्र में लिखा गया है। यह मामला वर्ष 2020 से लंबित है और पिछले 11 महीनों से सुप्रीम कोर्ट में लगातार सूचीबद्ध होने के बावजूद सुनवाई नहीं हो पाई है। इससे हजारों आरक्षण प्रभावित अभ्यर्थियों के बीच निराशा और असंतोष बढ़ रहा है।
अभ्यर्थियों का आरोप
अभ्यर्थियों का यह भी कहना है कि भर्ती प्रक्रिया में सामान्य वर्ग की सीटों पर भी आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को उचित स्थान नहीं दिया गया, जिससे उन्हें वंचित कर दिया गया। कई बार अधिकारियों और जिम्मेदार संस्थाओं को ज्ञापन देने के बावजूद कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई।
न्याय की उम्मीद पर टिकी निगाहें
सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई को लेकर अभ्यर्थियों की निगाहें टिकी हुई हैं। वे उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार न्यायालय उनके वर्षों पुराने संघर्ष को संज्ञान में लेगा और उन्हें उनका हक दिलाया जाएगा। अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर अब भी सुनवाई नहीं हुई, तो उनका आंदोलन और तेज होगा।