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ग्रेटर नोएडा में 22 दिसंबर को यमुना एक्सप्रेस-वे के जीरो पॉइंट पर भारतीय किसान यूनियन की महापंचायत होगी। राकेश टिकैत की मौजूदगी में पश्चिम यूपी के कई जिलों से किसान जुटेंगे। इनमें आबादी निस्तारण, बैक लीज, किसान कोटे के प्लॉट, 64.7 प्रतिशत मुआवजा और युवाओं के लिए रोजगार जैसे मुद्दे शामिल हैं।
किसानों की महापंचायत (Img: Google)
Noida: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक बार फिर किसान आंदोलन की आहट सुनाई देने लगी है। ग्रेटर नोएडा में 22 दिसंबर को यमुना एक्सप्रेस-वे के जीरो पॉइंट पर किसानों की एक बड़ी महापंचायत आयोजित की जा रही है। इस महापंचायत का नेतृत्व भारतीय किसान यूनियन कर रही है। इसमें बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी शामिल होंगे। किसानों का आरोप है कि लंबे समय से उनकी समस्याओं को अनदेखा किया जा रहा है। ऐसे में अब आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी।
महापंचायत को सफल बनाने के लिए किसानों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। लगातार अलग-अलग इलाकों में बैठकें की जा रही हैं। हाल ही में ग्रेटर नोएडा के परी चौक के पास झाड़े वाले मंदिर पर किसानों की एक अहम बैठक हुई। जिसमें महापंचायत की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में तय किया गया कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को 22 दिसंबर को जीरो पॉइंट तक बुलाया जाएगा। जिससे किसानों की आवाज को मजबूती से सरकार और प्रशासन तक पहुंचाया जा सके।
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बैठक के दौरान भारतीय किसान यूनियन के पश्चिम उत्तर प्रदेश अध्यक्ष पवन खटाना ने बताया कि 22 दिसंबर की महापंचायत ऐतिहासिक होगी। इस पंचायत में गौतम बुद्ध नगर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा समेत वेस्ट यूपी से बड़ी संख्या में किसान पहुंचेंगे। किसानों का गुस्सा केवल स्थानीय मुद्दों तक सीमित नहीं है। इस महापंचायत में पूरे क्षेत्र की समस्याएं उठाई जाएंगी।
पवन खटाना ने बताया कि गौतम बुद्ध नगर के बीकेयू कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर बैठकों का आयोजन कर रहे हैं। किसानों को उनके अधिकारों के बारे में बताया जा रहा है और महापंचायत में शामिल होने के लिए जागरूक किया जा रहा है। जब तक किसान एकजुट नहीं होंगे। उनकी समस्याओं का समाधान संभव नहीं है। इसी वजह से संगठन ने जमीनी स्तर पर संपर्क अभियान तेज कर दिया है।
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पवन खटाना ने बताया कि महापंचायत में किसानों की कई प्रमुख मांगों को लेकर आगे की रणनीति तय की जाएगी। इनमें आबादी निस्तारण, बैक लीज, किसान कोटे के प्लॉट, 64.7 प्रतिशत मुआवजा और युवाओं के लिए रोजगार जैसे अहम मुद्दे शामिल हैं। प्रशासन लगातार किसानों को गुमराह कर रहा है। किसानों को बार-बार आश्वासन दिए जाते हैं। इसी नाराजगी के चलते अब किसान खुलकर सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं।