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रायबरेली में सेवानिवृत्त कर्मचारियों और पेंशनर्स एसोसिएशन ने आठवें वेतन आयोग में पेंशनरों को शामिल न करने पर विरोध जताया। पेंशनर्स का कहना है कि उन्हें पेंशन पुनरीक्षण और अन्य लाभों से वंचित किया जा रहा है। पांचवें से सातवें वेतनमान में सुरक्षा होने के बावजूद वर्तमान सरकार ने उन्हें अलग रखा।
प्रदर्शन करते हुए पेंशनर्स
Raebareli: रायबरेली में सेवानिवृत्त कर्मचारियों एवं पेंशनर्स एसोसिएशन ने केंद्र सरकार की नीति के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया है। पेंशनर्स का कहना है कि केंद्रीय आठवें वेतन आयोग में उन्हें पेंशन पुनरीक्षण और अन्य लाभों से वंचित किया जा रहा है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों का आरोप है कि पांचवें, छठे और सातवें वेतनमान में पैरा 3 के बिंदु च में पेंशनरों का स्थान सुरक्षित रखा गया था, लेकिन वर्तमान सरकार ने आठवें वेतनमान में पेंशनरों को अलग कर दिया।
इसके चलते पूरे देश में यह पहला आंदोलन आयोजित किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री का ध्यान आकर्षित करने के लिए मोमबत्ती जलाकर प्रदर्शन किया गया। पेंशनर्स ने सरकार से आग्रह किया कि वे अपने बुजुर्गों और पेंशनरों का ध्यान रखें और आठवें वेतन आयोग में उन्हें पेंशन पुनरीक्षण और अन्य लाभ प्रदान करने की व्यवस्था करें।
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बीते दिन पेंशनरों ने पेंशनर भवन से पुलिस ऑफिस होते हुए डिग्री कॉलेज चौराहे तक मोमबत्ती मार्च निकाला और शहीद चौक पर इसे समाप्त किया। इसके बाद वे कलेक्ट्रेट पहुंचे और नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा। इस प्रदर्शन में पूर्व प्राचार्य फिरोज गांधी महाविद्यालय प्रोफेसर आर पी सिंह, राम बहादुर वर्मा, प्रोफेसर ओम गुप्ता, प्रोफेसर भूपेंद्र देव सिंह, प्रोफेसर राजेंद्र बहादुर श्रीवास्तव, प्रोफेसर चंपा श्रीवास्तव, बी एन यादव, संरक्षक दयाराम यादव, बी एस सक्सेना, इंद्रपाल सिंह, सियाराम वर्मा, आरबी वर्मा, आरबी यादव, सच्चिदानंद शुक्ला, राजेंद्र सिंह, दीपक कुमार श्रीवास्तव, जॉइंट कमिश्नर हरिश्चंद्र श्रीवास्तव, रिटायर्ड उप जिलाधिकारी राज नारायण, निर्मल भैया, रामासरे यादव, राजकुमार सिंह सहित लगभग 400 पेंशनरों ने भाग लिया।
ज्ञापन में मुख्य रूप से केंद्र सरकार से आग्रह किया गया कि पेंशनरों को आठवें वेतन आयोग में शामिल किया जाए और उन्हें पेंशन पुनरीक्षण और अन्य लाभ प्रदान किए जाएं। पेंशनर्स ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे भविष्य में और सशक्त आंदोलन की योजना बना सकते हैं।
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इस प्रदर्शन और ज्ञापन से यह संदेश स्पष्ट हुआ कि पेंशनर्स न केवल अपने अधिकारों के लिए जागरूक हैं, बल्कि केंद्र सरकार से संवेदनशीलता और न्यायपूर्ण निर्णय की अपेक्षा रखते हैं। प्रदर्शन स्थल पर शांतिपूर्ण माहौल के बीच पेंशनर्स ने अनुशासन बनाए रखा और अपनी मांगों के समर्थन में मजबूती दिखाई।