Raebareli News: क्यों कहा योगेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने– ‘भक्तों पर नहीं आता कोई संकट’? जानिए पीछे की दिव्य बात

हसनपुर क्षेत्र में तीन दिवसीय भागवत कथा में पहुंचे आचार्य योगेंद्र कृष्ण शास्त्री ने श्रीराम चन्द्र जी का सुंदर व्याख्यान किया। पढिये यह रिपोर्ट।

रायबरेली: हरचंदपुर क्षेत्र के पूरे गुलाब सिंह (कंडौरा) में आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस श्रीधाम वृंदावन से पधारे प्रख्यात व्यास योगेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी ने भक्त और भगवान की सारगर्भित व्याख्या करते हुए कहा कि अपने आराध्य के प्रति सेवा और समर्पण का भाव रखने वाले भक्त के ऊपर कभी भगवान दुख, संकट नहीं आने देते हैं। परमात्मा के पावन नाम की अपरंपार महिमा है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,   कथा व्यास ने कहा कि भक्त प्रह्लाद सदैव अपने आराध्य श्री नारायण की साधना आराधना में लीन रहते थे। परमात्मा का विरोधी दैत्य राज हिरण्य कश्यप बेटे के भगवत प्रेम में बाधाडालने और जान से मार डालने की तमाम कोशिश करता है। जिसके रक्षक स्वयं भगवान बन जाएं, उसे कौन मार सकता है। भक्त प्रह्लाद को संकट में आया देख भगवान श्री नरसिंह रूप में खंभे से प्रकट होकर हिरण्य कश्यप का वध करके अपने भक्त की रक्षा करते हैं।

श्री शास्त्री ने श्रीमद् भागवत की भक्ति भाव भरी पावन कथा सुनाते हुए कहा कि कलयुग कलि काल में श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा अत्यंत फलदाई है। भाव के भूखे भगवान अपने भक्तों की हर तरह से रक्षा करते हैं। उन्होंने श्रोताओं को श्रद्धा-भक्ति से भरी संगीतमयी कथा सुनाकर भाव विभोर किया। भागवत भगवान की पूजा आरती करके तृतीय दिवस की कथा का समापन किया गया। सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।

ये सभी रहे मौजूद

इस मौके पर सपत्नीक यजमान वीरेंद्र सिंह (रामराम जी), विद्या सिंह, नरेंद्र सिंह भंडारी, प्रशांत सिंह (भोले), राम मिश्र, प्रवीण दुबे, बाबा रामचंद्र मिश्र, उपेन्द्र मिश्र, वीरेंद्र सिंह, राजेश शुक्ल, दीपू सिंह, तेज बहादुर सिंह कल्लू, नर बहादुर सिंह, आशूं मिश्र, आनंद त्रिपाठी, दिनेश सिंह, गीता सिंह, सुधा सिंह, शीला शुक्ला, शैलू सिंह, जितेन्द्र सिंह आदि तमाम लोग प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

श्रीमद्भागवत कथा सुनने से अनेक लाभ होते हैं। इससे मन शुद्ध होता है, संशय दूर होते हैं, शांति और मोक्ष मिलता है। इससे जन्म-जन्मांतर के विकार नष्ट होते हैं तथा सोया हुआ ज्ञान और वैराग्य जागृत होता है। कलियुग में कथा सुनने से मनुष्य भवसागर से पार हो जाता है। भागवत कथा सुनने से पापों और दुविधाओं से ग्रसित मन शुद्ध हो जाता है

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