Mock Drill In UP: यूपी के 17 जिलों में जानिए मॉक ड्रिल की खास तैयारियां

उत्तर प्रदेश के 17 जिलों को इस मॉक ड्रिल के लिए चिन्हित किया गया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 6 May 2025, 5:52 PM IST
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लखनऊ: पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हालात तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। दोनों देशों के बीच इस हमले ने युद्ध के हालात पैदा कर दिए है। अब इस हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने की पूरी तैयारी शुरू कर दी है।

7 मई को होगी मॉक ड्रिल

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, मोदी सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाने के लिए कदम उठाए हैं। इस कड़ी में गृह मंत्रालय ने देशभर में 7 मई को युद्ध जैसी स्थिति में मॉक ड्रिल  कराने का आदेश दिया है।
उत्तर प्रदेश के 17 जिलों को इस मॉक ड्रिल के लिए चिन्हित किया गया है, जिन्हें तीन श्रेणियों – श्रेणी A, श्रेणी B, और श्रेणी C – में बांटा गया है। इन जिलों को उनकी संवेदनशीलता के आधार पर यह श्रेणियां दी गई हैं। मॉक ड्रिल के दौरान, प्रशासन, पुलिस, फायर ब्रिगेड और आपदा सेवाएं मिलकर सुरक्षा व्यवस्था और जन जागरूकता को मजबूत करने के लिए अभ्यास करेंगी।

यूपी के इन जिलों में भी मॉक ड्रिल

गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार, बुलंदशहर (नरौरा) को श्रेणी A में रखा गया है, जबकि बागपत और मुजफ्फरनगर को श्रेणी C में और बाकी 16 जिलों को श्रेणी B में रखा गया है। ये जिलें इसलिए चुने गए हैं क्योंकि यहाँ भारतीय सेना और वायुसेना की गतिविधियाँ होती हैं, और युद्ध की स्थिति में ये क्षेत्र दुश्मन के निशाने पर आ सकते हैं। जिन 16 जिलों में श्रेणी B में मॉक ड्रिल होगी, उनमें प्रमुख स्थान आगरा, इलाहाबाद, बरेली, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, वाराणसी, बख्शी का तालाब, मुगलसराय और सरवासा हैं।

इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य जनमानस को युद्ध जैसी स्थिति के लिए तैयार करना है। मॉक ड्रिल के दौरान, जैसे ही सायरन बजेंगे, लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाना होगा और खुली जगहों से दूर रहना होगा। साथ ही, 'ब्लैकआउट' (पूर्ण अंधकार) की रणनीति भी लागू की जाएगी। इसका मतलब है कि हमले की स्थिति में सभी घरों, दफ्तरों और सार्वजनिक स्थानों की लाइटें बंद कर दी जाएंगी ताकि दुश्मन की नजर से बचा जा सके।

यह मॉक ड्रिल नागरिकों को युद्ध के समय की परिस्थितियों के बारे में जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह उन्हें न केवल सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षित करेगा, बल्कि आत्मरक्षा और सतर्कता की भावना भी पैदा करेगा।

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