प्रतापगढ़ मेडिकल कॉलेज में लापरवाही की मार, उपचार के लिए दर-दर भटक रहे मरीज

स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में मरीजों को उपचार के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। मामले की पूरी जानकारी के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट

Post Published By: Jaya Pandey
Updated : 19 June 2025, 5:28 PM IST
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प्रतापगढ़: जिले के डॉक्टर सोनेलाल पटेल स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में स्वास्थ्य सेवाएं खुद बीमार नजर आ रही हैं। मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की भारी कमी के चलते मरीजों को उपचार के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। विशेषकर रेडियोलॉजी विभाग में हालात बेहद खराब हैं, जहां चार अल्ट्रासाउंड मशीनें होने के बावजूद सिर्फ एक मशीन से ही जांच की जाती है, वह भी केवल दोपहर 2 बजे तक।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता से मिली जानकारी के मुताबिक मरीजों को अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए हफ्तों तक मेडिकल कॉलेज के चक्कर लगाने पड़ते हैं। रेडियोलॉजी विभाग में मरीजों के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है, न ही पीने के पानी की सुविधा है। यहां तक कि स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों को भी बैठने के लिए कुर्सियां नहीं दी गई हैं।

डॉक्टरों की कमी

इस मामले में मेडिकल कॉलेज के सीएमएस शैलेंद्र कुशवाहा ने ऑफ कैमरा स्वीकार किया कि कॉलेज में रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टरों की कमी है, जिसकी वजह से एक ही दिन सभी मरीजों का अल्ट्रासाउंड संभव नहीं हो पाता।

व्यवस्थाओं की कमी

आयुष्मान योजना के तहत भर्ती मरीजों की हालत भी कुछ खास नहीं है। मरीजों को भीषण गर्मी में बिना पंखे और एसी के रहना पड़ता है। आयुष्मान वार्ड में न तो ठंडी हवा की व्यवस्था है और न ही आवश्यक सुविधाएं। मरीज और उनके परिजन बेहद असुविधा का सामना कर रहे हैं।

मरीजों पर आर्थिक बोझ

सूत्रों की मानें तो मेडिकल कॉलेज के कुछ डॉक्टरों पर यह भी आरोप लग रहे हैं कि वे बाहर के मेडिकल स्टोर या दलालों से सेटिंग कर महंगी दवाएं लिखते हैं, जिससे मरीजों पर आर्थिक बोझ भी बढ़ता है। इस पूरे मामले पर जब कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. विनोद कुमार पांडे से बात की गई तो उन्होंने कहा कि एक नया वार्ड बनकर तैयार हो रहा है, जिसमें जल्द ही आयुष्मान वार्ड को शिफ्ट किया जाएगा।

सख्त कार्रवाई के आदेश

साथ ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि मेडिकल कॉलेज की सभी कमियों को जल्द दूर करने का प्रयास जारी है और अगर कोई लापरवाही सामने आती है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। मगर फिलहाल, मरीजों की परेशानी और मेडिकल कॉलेज की बदहाली एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।

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