

उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक सेवाओं की शुचिता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने के लिए गठित ‘इन्वेस्ट यूपी’ जैसी अहम संस्था में तैनात रहे आईएएस अफसर अभिषेक प्रकाश पर लगे रिश्वत के आरोप अब किसी दबी जुबान की चर्चा नहीं, बल्कि सरकारी दस्तावेजों में दर्ज सच्चाई बनते जा रहे हैं।
निलंबित IAS अभिषेक प्रकाश (सोर्स इंटरनेट)
Lucknow: उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक सेवाओं की शुचिता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने के लिए गठित ‘इन्वेस्ट यूपी’ जैसी अहम संस्था में तैनात रहे आईएएस अफसर अभिषेक प्रकाश पर लगे रिश्वत के आरोप अब किसी दबी जुबान की चर्चा नहीं, बल्कि सरकारी दस्तावेजों में दर्ज सच्चाई बनते जा रहे हैं। सोलर एनर्जी कंपनी से कथित तौर पर पांच फीसदी ‘कट’ की मांग ने राज्य की नौकरशाही के भीतर छिपे उस तंत्र को बेनकाब किया है, जो विकास के नाम पर निजी स्वार्थ साधने से भी नहीं हिचकता।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, सरकार ने इस निलंबित अफसर को चार्जशीट देकर न केवल आरोपों को आधिकारिक स्वरूप दिया, बल्कि इस मामले को आगे गंभीर जांच के दायरे में भी पहुंचा दिया है। चार्जशीट में दर्ज बिंदुओं पर आईएएस अभिषेक प्रकाश से 15 दिन में जवाब मांगा गया है, जो इस पूरे मामले की दिशा तय करेगा। इसके बाद जांच अधिकारी की नियुक्ति होगी जो पूरे घटनाक्रम की परत-दर-परत पड़ताल करेगा।
यह मामला केवल एक अफसर के खिलाफ कार्रवाई नहीं, बल्कि उस तंत्र की पड़ताल भी है जिसमें 'ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस' के नाम पर सरकारी मंजूरियों के एवज में कंपनियों से कथित 'सुविधा शुल्क' मांगे जाते हैं। इन्वेस्ट यूपी जैसी संस्था, जो प्रदेश में पूंजी निवेश का चेहरा मानी जाती है, उसमें ऐसी घटना का सामने आना यह दर्शाता है कि नीचे से ऊपर तक कहीं न कहीं मौन स्वीकृति या निगरानी की चूक रही है।
इस केस में खास बात यह रही कि सोलर कंपनी ने सीधे मुख्यमंत्री तक अपनी शिकायत पहुंचाई, जिससे मामले ने गंभीर रूप लिया। इसके तुरंत बाद 20 मार्च को अभिषेक प्रकाश को निलंबित किया गया था। अब जबकि चार्जशीट मिल चुकी है, साफ है कि मामला केवल निलंबन तक सीमित नहीं रहेगा।
2006 बैच के आईएएस अफसर अभिषेक प्रकाश कभी तेजतर्रार और प्रभावशाली माने जाते थे, लेकिन अब उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने न केवल उनके करियर बल्कि सिस्टम की साख को भी प्रभावित किया है। यह मामला बताता है कि अब अफसरशाही को न केवल परिणाम भुगतने होंगे, बल्कि जवाबदेह भी होना होगा।