

शिव-पार्वती की प्रेम कथा और व्रत की शक्ति से जुड़ा है यह पर्व हरियाली तीज के बाद आने वाला हरतालिका तीज का पर्व भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक माना जाता है। इस बार हरतालिका तीज 2025 में 26 अगस्त को मनाई जाएगी। यह व्रत माता पार्वती द्वारा भगवान शिव को पति रूप में पाने की कथा पर आधारित है। जानें पूजा विधि, मुहूर्त और व्रत का महत्व।
हरतालिका तीज (सोर्स-गूगल)
New Delhi: शिव-पार्वती की प्रेम कथा और व्रत की शक्ति से जुड़ा है यह पर्व हरियाली तीज के बाद आने वाला हरतालिका तीज का पर्व भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक माना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की मजबूती के लिए मनाया जाता है। वर्ष 2025 में हरतालिका तीज 26 अगस्त को मनाई जाएगी। यह तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आती है।
हरतालिका तीज का अर्थ और पौराणिक महत्व
‘हरतालिका’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘हरत’ यानी हरण करना और ‘आलिका’ यानी सखी। इसका तात्पर्य है, माता पार्वती की सखियों द्वारा उनका हरण किया जाना। ताकि वे अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध विष्णु से विवाह न करें और तपस्या द्वारा शिव जी को पति रूप में प्राप्त करें।
मान्यता है कि इसी दिन माता पार्वती ने कठोर तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और उनसे विवाह का वरदान पाया। इसीलिए यह व्रत विवाहित और अविवाहित दोनों महिलाओं के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।
तिथि और पूजा मुहूर्त
तृतीया तिथि प्रारंभ: 25 अगस्त 2025 को दोपहर 12:34 बजे
तृतीया तिथि समाप्त: 26 अगस्त 2025 को दोपहर 01:54 बजे
प्रातःकालीन पूजा मुहूर्त: सुबह 05:56 बजे से 08:31 बजे तक
पूजा अवधि: 2 घंटे 35 मिनट
शिव पार्वती (सोर्स-गूगल)
रात्रि पूजा के चार प्रहर
हरतालिका तीज की विशेषता यह है कि इस दिन रात्रि जागरण और चार प्रहरों में पूजा की जाती है।
पहला प्रहर: शाम 6 बजे से रात 9 बजे
दूसरा प्रहर: रात 9 से 12 बजे
तीसरा प्रहर: रात 12 से 3 बजे
चौथा प्रहर: 3 बजे से सुबह 6 बजे तक
व्रत की विधि और पालन
इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं यानी पूरे दिन जल भी ग्रहण नहीं करतीं। पारंपरिक श्रृंगार करती हैं, देवी गीत गाती हैं और शिव-पार्वती की कथा का श्रवण करती हैं। मिट्टी या रेत से बनाए गए शिवलिंग की पूजा कर माता पार्वती की तपस्या को स्मरण किया जाता है। रातभर जागरण कर चारों प्रहर में विधिवत पूजा की जाती है।
हरतालिका तीज व्रत कथा संक्षेप में
कथा के अनुसार, जब पार्वती जी के पिता हिमावंत ने उनका विवाह विष्णु से तय कर दिया तो पार्वती जी इससे दुखी होकर सखियों के साथ वन में चली गईं। वहां उन्होंने रेत से शिवलिंग बनाकर तपस्या की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और विवाह का वचन दिया। उसी दिन को स्मरण करते हुए हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है।
डिस्क्लेमर
इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक ग्रंथों, जनमान्यताओं और सामाजिक परंपराओं पर आधारित है। यह सामान्य जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या व्रत से जुड़ी विधि अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ, पंडित या ज्ञानी व्यक्ति से परामर्श अवश्य लें।