

महराजगंज में मुहर्रम को शांतिपूर्ण बनाने के लिए जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा और पुलिस अधीक्षक सोमेंद्र मीणा ने सिसवा बाजार में फ्लैग मार्च किया। प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया।
मुहर्रम को लेकर सिसवा बाजार में फ्लैग मार्च
महराजगंज: मुहर्रम पर्व को शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के उद्देश्य से शनिवार को जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा और पुलिस अधीक्षक सोमेंद्र मीणा ने सिसवा बाजार कस्बे में फ्लैग मार्च कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। इस दौरान उनके साथ उपजिलाधिकारी निचलौल, क्षेत्राधिकारी निचलौल और भारी पुलिस बल मौजूद रहा।
बता दें कि इस फ्लैग मार्च की शुरुआत स्टेट चौराहे से हुई, जो गोपालनगर चौराहे तक निकाला गया। जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक ने कस्बे के मुख्य मार्गों पर पैदल भ्रमण करते हुए लोगों को सुरक्षा का एहसास कराया और भरोसा दिलाया कि प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददता के अनुसार, जिलाधिकारी ने अधिकारियों को शासन के निर्देशों का कड़ाई से पालन कराने को कहा। उन्होंने विशेष रूप से मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में अतिरिक्त सतर्कता बरतने, तय जुलूस मार्गों की निगरानी, ताजियों की ऊंचाई एवं दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित कराने को निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
शरारती तत्वों पर रहेगी नजर
जिलाधिकारी ने शरारती तत्वों पर सख्त कार्रवाई करने और दोनों समुदायों के प्रबुद्धजनों के साथ संवाद बनाए रखने पर जोर दिया। साथ ही उपजिलाधिकारी और सीओ को लगातार भ्रमणशील रहने और फील्ड में उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
पुलिस अधीक्षक श्री सोमेंद्र मीणा ने सभी अधिकारियों को क्षेत्र में सक्रिय रूप से गश्त करने, सोशल मीडिया की निगरानी करने और संदिग्ध तत्वों पर नजर रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की अफवाह या अराजकता फैलाने की कोशिश करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।
इस्लाम में क्यों खास है मुहर्रम?
मुहर्रम का महीना इस्लाम में सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है, जो मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है। इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शामिल मुहर्रम का 10वां दिन, जिसे आशूरा के नाम से जाना जाता है, कर्बला की उस दुखद घटना को याद करता है, जहां हजरत इमाम हुसैन और उनके परिवार ने सत्य और न्याय के लिए अपनी जान कुर्बान की थी। आज, 6 जुलाई को आशूरा का दिन मनाया जा रहा है, जो कर्बला की शहादत की याद दिलाता है। इस युद्ध में हजरत अली असगर, जो मात्र छह महीने के थे, जिसकी शहादत की कहानी भी अत्यंत मार्मिक है।
मुहर्रम में शिया समुदाय विशेष रूप से हजरत अली असगर की शहादत को गहरे दुख के साथ याद करता है। इस दौरान मजलिसों में 'शब-ए-असगर' का आयोजन किया जाता है, जहां लोग अली असगर की तड़प और इमाम हुसैन के धैर्य को याद करते हैं। अली असगर को 'बाब-उल-हवाइज' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'जरूरतमंदों की पुकार सुनने वाला'। इस दिन शिया समुदाय के लोग मजलिसों में एकत्र होकर उनकी शहादत को श्रद्धांजलि देते हैं और कर्बला के बलिदान को याद करते हुए दुख प्रकट करते हैं।