

महराजगंज के कोल्हुई क्षेत्र स्थित पिपरा परसौनी गांव की गौशाला में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर विधि-विधान के साथ गायों की विशेष पूजा की गई। भव्य आयोजन में ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और गायों की सेवा की। कथा, पूजा और सामूहिक संकल्प के साथ यह कार्यक्रम धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक मूल्यों और गौसंरक्षण के प्रति जागरूकता का प्रतीक बना।
जन्माष्टमी पर गौशाला में गायों की विशेष पूजा
Maharajganj: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर कोल्हुई क्षेत्र के पिपरा परसौनी गांव स्थित गौशाला में एक भव्य धार्मिक आयोजन संपन्न हुआ। इस विशेष दिन पर गांववासियों ने भगवान श्रीकृष्ण और उनकी प्रिय गायों की सेवा और पूजा में उत्साहपूर्वक भाग लिया। आयोजन ने श्रद्धा, भक्ति और सामूहिक सहयोग का एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया।
पूजा और कथा से हुई शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत श्रीकृष्ण कथा से हुई, जिसमें उनके जीवन, गोकुल की लीलाओं और गायों के प्रति उनके प्रेम की भावपूर्ण व्याख्या की गई। कथा के बाद, गौशाला में मौजूद सभी गायों की विधिवत पूजा की गई, उन्हें चुनरी ओढ़ाई गई और ताजे फल, मिष्ठान और पौष्टिक चारा खिलाया गया। ग्रामीणों ने गायों को सहलाया, चरण धोए और आरती उतारी। पूरा वातावरण कृष्णमय हो गया।
प्रधान पति का संबोधन
ग्राम प्रधान पति दिनेश चंद यादव ने कहा, "गायें हमारे समाज और संस्कृति का अहम हिस्सा हैं। भगवान श्रीकृष्ण का गायों के प्रति प्रेम आज भी हमारी आस्था और परंपरा में जीवित है। इस आयोजन के माध्यम से हम सबने मिलकर उस प्रेम और सेवा को पुनः स्मरण किया है।" उन्होंने सभी ग्रामवासियों से गौसेवा को जीवन का हिस्सा बनाने और गौशाला की देखभाल में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया।
कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित
कार्यक्रम में सचिव विष्णुप्रिया दुबे, पुरोहित यशोदानंद पांडेय, रामचंद यादव, पंचायत सहायक सीमा, उमेश यादव, विनोद जायसवाल, निजामुद्दीन, केयरटेकर अब्दुल सलाम, राजाराम, सर्वदेव, नसीम, रिजवान, आलोक, गुड्डू सहित सैकड़ों ग्रामवासी मौजूद रहे। सभी ने मिलकर न केवल पूजा की, बल्कि गौशाला की सफाई और गौसेवा के लिए सामूहिक संकल्प भी लिया।
धार्मिकता के साथ सामाजिक एकता का संदेश
यह आयोजन धार्मिक महत्व से परे सामाजिक एकता, समरसता और सांस्कृतिक मूल्यों को भी उजागर करता है। गायों की सेवा और पूजा ने ग्रामवासियों में एक सकारात्मक ऊर्जा और आपसी सहयोग की भावना को जन्म दिया। आयोजकों का कहना है कि इस तरह के आयोजन भविष्य में भी जारी रहेंगे ताकि गौसंरक्षण और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाया जा सके। पिपरा परसौनी की गौशाला में जन्माष्टमी पर हुआ यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए अध्यात्मिक अनुभव रहा, बल्कि गौसंरक्षण और सामाजिक सहभागिता का प्रेरणादायक उदाहरण भी बना।