Maharajganj News: डीपीआरओ की निजी होटल में बैठक बना चर्चा का विषय, जानिए पूरा मामला

कोल्हुई में डीपीआरओ की होटल में बैठक करना चर्चा का विषय बना हुआ है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Updated : 11 May 2025, 3:23 PM IST
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महराजगंज: महराजगंज में स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। शनिवार को जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) श्रेया मिश्रा की कोल्हुई के एक निजी होटल में व्यापारियों के साथ की गई बैठक चर्चा का विषय बन गई। इस बैठक को लेकर न सिर्फ स्थानीय लोगों ने सवाल उठाए, बल्कि इसे सरकारी नियमों की अनदेखी करार देते हुए पारदर्शिता पर भी उंगली उठाई जा रही है।

डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, डीपीआरओ श्रेया मिश्रा ने होटल में व्यापारियों के साथ कूड़ा कलेक्शन को लेकर चर्चा की। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, यह बातचीत "शॉप टू शॉप कूड़ा कलेक्शन" योजना के तहत थी, जिसमें दुकानदारों से 1 या 2 रुपये के मासिक शुल्क को लेकर सहमति बनाने की बात की गई थी। हालांकि यह पहल स्वच्छता को लेकर सराहनीय मानी जा सकती है, लेकिन इसके लिए स्थान का चयन प्रशासनिक सवालों को जन्म दे गया।

स्थानीय लोगों ने दी प्रतिक्रिया

वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि जब सरकारी कार्यालय और पंचायत भवन जैसे स्थान उपलब्ध हैं, तब एक निजी होटल में बैठक करना सरकारी संसाधनों और नियमों की अनदेखी है। वहीं, कोल्हुई उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष श्रीराम जायसवाल ने बयान जारी कर कहा कि ऐसी बैठकों को सार्वजनिक रूप से आयोजित किया जाना चाहिए, ताकि आम लोग भी अपनी बात अधिकारियों तक पहुंचा सकें।

क्या बोली डीपीआरओ?

दूसरी तरफ, इस मामले में सफाई देते हुए डीपीआरओ श्रेया मिश्रा ने डाइनामाइट न्यूज़ से बताया कि यह कोई औपचारिक बैठक नहीं थी। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी (डीएम) के निर्देश पर दुकानदारों से समन्वय स्थापित करने हेतु अनौपचारिक बातचीत की गई। होटल में बैठक को लेकर उन्होंने स्पष्ट किया कि सचिव द्वारा उन्हें वहां ले जाया गया था और कुछ लोग पहले से ही वहां मौजूद थे।

फिलहाल, यह मामला कोल्हुई क्षेत्र में चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है। लोगों का मानना है कि प्रशासन को पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए और किसी भी प्रकार की सरकारी बातचीत को सार्वजनिक स्थल पर आयोजित किया जाना चाहिए। वहीं इस मामले को लेकर चर्चा तेज हो गई है। इससे सरकारी नियमों की अनदेखी करार देते हुए इसकी विश्वसनियता पर सवाल उठ रहे हैं।

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