

नौतनवां उपनिबंधक पर गंभीर भ्रष्टाचार और नियमविरुद्ध बैनामा करने के आरोप लगे हैं। शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर न केवल पूर्व शिकायत की प्रगति पर सवाल उठाए हैं, बल्कि हाल ही में किए गए संदिग्ध बैनामों का खुलासा भी किया है। आरोप है कि उपनिबंधक ने मानसिक रूप से अस्वस्थ और मूक-बधिर व्यक्तियों तक के नाम पर भारी धन उगाही करके बैनामा करा दिया।
डीएम से मिले शिकायत शिकायत करता
Maharajganj: महराजगंज जनपद के नौतनवां तहसील का उपनिबंधक संदीप गौड़ एक बार फिर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के घेरे में है। शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा को पत्र भेजकर उपनिबंधक पर इस बार मूक बधिर का भी अवैध तरीके से जमीन बैनामा करने का समेत बड़े पैमाने पर अवैध वसूली और स्टाम्प ड्यूटी चोरी का आरोप लगाया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस पत्र में कहा गया है कि 28 जुलाई 2025 को उपनिबंधक की शिकायत पहले ही की जा चुकी थी, जिसकी जांच अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) को सौंपी गई थी। लेकिन एक महीने बीत जाने के बाद भी जांच की प्रगति शून्य है।
शिकायतकर्ता के अनुसार इस दौरान उपनिबंधक ने नए संदिग्ध बैनामे भी कराए हैं। आरोप है कि दस्तावेज संख्या 4205, 4206 और 4209 में वाणिज्यिक मकानों को छिपाकर केवल भूमि का बैनामा कर दिया गया। इससे न सिर्फ स्टाम्प ड्यूटी की चोरी हुई बल्कि भारी रकम की वसूली भी की गई। इसी प्रकार दस्तावेज संख्या 4210 दिनांक 16 मई 2025 में सड़क किनारे बने व्यावसायिक भवन को छुपाकर अकृषक श्रेणी में बैनामा कर लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया।
सबसे गंभीर आरोप यह है कि 12 अगस्त 2025 को राजेन्द्र नामक एक मानसिक रूप से अस्वस्थ (65 प्रतिशत विकलांगता प्रमाणित) व्यक्ति का भी बैनामा कराया गया। शिकायत में दावा किया गया है कि वह बयान देने की स्थिति में नहीं था और सीसीटीवी फुटेज से साबित हो जाएगा कि केवल अंगूठा लगवाकर बैनामा निपटा दिया गया। यही नहीं, लगभग दो सप्ताह पूर्व एक मूक-बधिर व्यक्ति के नाम पर भी इसी तरह का बैनामा कराया गया है। शिकायतकर्ता ने मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच समिति गठित कर सीसीटीवी फुटेज और अभिलेखों की जांच की जाए। दोष सिद्ध होने पर उपनिबंधक के विरुद्ध विभागीय एवं प्रशासनिक कार्रवाई हो।
स्थानीय लोगों में इस मामले को लेकर गहरी नाराजगी है। जनपद में यह चर्चा का विषय बन चुका है कि कैसे एक जिम्मेदार सरकारी अधिकारी ने अपने पद का दुरुपयोग कर कमजोर वर्ग के अधिकारों का हनन किया। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कितनी तत्परता से कार्रवाई करता है।