

बाराबंकी स्थित श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी (SRMU) एक बार फिर विवादों के घेरे में है। विश्वविद्यालय पर बिना मान्यता के कानून पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने और छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगा है। ऐसे में इस मामले को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है।
SRMU के खिलाफ FIR दर्ज
Barabanki: बाराबंकी स्थित श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी (SRMU) एक बार फिर विवादों के घेरे में है। विश्वविद्यालय पर बिना मान्यता के कानून पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने और छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगा है। वहीं, विरोध कर रहे छात्रों पर लाठीचार्ज की घटना के बाद राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए अब विश्वविद्यालय प्रबंधन के खिलाफ FIR दर्ज करवा दी है।
SRMU द्वारा संचालित एलएलबी और बीबीए एलएलबी जैसे विधि पाठ्यक्रमों में पिछले तीन वर्षों से बिना बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) की मान्यता के दाखिले लिए जा रहे थे। छात्रों को इस बारे में जानकारी नहीं दी गई थी। 2023-24 और 2024-25 सत्र के लिए परीक्षाएं भी करवाई गईं, जबकि 2025-26 के लिए भी नए नामांकन जारी थे।
जैसे ही यह जानकारी छात्रों को लगी, आक्रोश भड़क उठा। छात्र संगठन ABVP के नेतृत्व में छात्रों ने विश्वविद्यालय गेट पर जोरदार प्रदर्शन किया। शांतिपूर्ण प्रदर्शन देखते ही देखते तनाव में बदल गया और पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए प्रदर्शनकारी छात्रों पर लाठीचार्ज कर दिया। इस घटना में करीब दो दर्जन छात्र घायल हो गए, जिनमें कुछ को गंभीर चोटें आईं।
छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय ने न केवल मान्यता के बिना प्रवेश लिए, बल्कि लाखों रुपये फीस लेकर उन्हें गुमराह किया। वहीं, जब छात्रों ने इसका विरोध किया तो उनकी आवाज़ दबाने के लिए पुलिस का सहारा लिया गया। ABVP ने इसे छात्रों के अधिकारों का हनन और लोकतांत्रिक विरोध पर हमला बताया है।
लाठीचार्ज की घटना पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत संज्ञान लिया। CO सिटी को निलंबित कर दिया गया है, जबकि शहर कोतवाली के प्रभारी और गदिया चौकी प्रभारी को लाइन हाजिर किया गया है। IG और कमिश्नर की संयुक्त जांच टीम बनाई गई है जो पूरे मामले की तहकीकात कर रही है।
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अब इस प्रकरण में बड़ा कदम उठाते हुए उच्च शिक्षा परिषद के अपर सचिव की तहरीर पर SRMU के खिलाफ बाराबंकी नगर कोतवाली में FIR दर्ज की गई है। आरोप है कि विश्वविद्यालय ने बार काउंसिल से मान्यता लिए बिना ही कानून पाठ्यक्रम संचालित किए और छात्रों का पंजीकरण कराया। प्रशासन इसे शिक्षा के क्षेत्र में गंभीर धोखाधड़ी मान रहा है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि विश्वविद्यालय में पढ़ रहे सैकड़ों छात्रों का भविष्य क्या होगा? क्या उनकी डिग्री मान्य होगी या उन्हें दोबारा दाखिला लेना पड़ेगा? जांच पूरी होने तक विश्वविद्यालय प्रशासन, छात्र और उनके अभिभावक सभी असमंजस में हैं। SRMU विवाद केवल एक विश्वविद्यालय की लापरवाही भर नहीं, बल्कि पूरे उच्च शिक्षा तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े करता है। सरकार की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन छात्रों को न्याय दिलाना अब असली परीक्षा होगी।