

कानपुर में जमीनों के सर्किल रेट बढ़ने से इसका सीधा असर संपत्ति बाजार पर पड़ेगा। अगर रेट में 10 प्रतिशत तक बढ़ोतरी होती है तो इसका प्रभाव शहर में संपत्ति की खरीद-फरोख्त पर दिखाई देगा।
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स- गूगल)
Kanpur News: कानपुर में 1 अगस्त से जमीनों के दाम बढ़ने जा रहे हैं। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि दाम कितने बढ़ेंगे, लेकिन सर्किल रेट बढ़ाने के लिए उपनिबंधन और तहसील स्तर पर सर्वे का काम तेज़ी से शुरू हो चुका है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, नया सर्किल रेट लागू करने के लिए संबंधित अधिकारी अपने-अपने स्तर पर सर्वे कर रहे हैं ताकि बाजार और वास्तविक मूल्य के बीच के अंतर को कम किया जा सके।
10 जुलाई तक होगा पूरा सर्वे का काम
एडीएम फाइनेंस विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि 10 जुलाई तक सर्वे का काम पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद प्रस्तावित रेट को शहरवासियों के बीच रखा जाएगा, और उन पर आपत्तियों की सुनवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के बाद 25 जुलाई तक लोगों को अपनी आपत्ति जताने का अवसर मिलेगा, जिसे निस्तारित करने के बाद एक अगस्त से नया सर्किल रेट लागू किया जाएगा।
10 फीसदी तक सर्किल रेट बढ़ने की संभावना
पिछले साल 15 प्रतिशत सर्किल रेट बढ़ाए गए थे, जो कि लगभग 15 साल बाद हुआ था। इस बार भी सर्किल रेट बढ़ाने की तैयारी है और अनुमान है कि इस बार लगभग 10 प्रतिशत तक रेट बढ़ सकते हैं। अधिकारियों का मानना है कि बाज़ार और वास्तविक मूल्य के बीच बड़े अंतर को समाप्त करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। डीएम, एडीएम फाइनेंस, और एआईजी स्टाम्प के बीच मंथन तेज़ हो गया है ताकि रेट में बढ़ोतरी का सही पैटर्न तय किया जा सके।
आपत्तियों के लिए जारी किया जाएगा विज्ञापन
प्रस्तावित सर्किल रेट का ऐलान होने के बाद, इसे लेकर एक सार्वजनिक विज्ञापन जारी किया जाएगा, जिसमें शहरवासियों से 14 दिन के अंदर अपनी आपत्तियां जताने का मौका मिलेगा। इस अवधि के भीतर, अगर किसी को आपत्ति होती है तो उसकी सुनवाई की जाएगी और फिर उसे निस्तारित कर नया सर्किल रेट लागू किया जाएगा। 25 जुलाई तक सभी आपत्तियों का समाधान कर लिया जाएगा और 1 अगस्त से नया सर्किल रेट प्रभावी हो जाएगा।
सर्किल रेट निर्धारित करने की प्रक्रिया
सर्किल रेट निर्धारित करने की प्रक्रिया में सबसे पहले महंगाई दर को देखा जाता है। इसके बाद शहर में जमीनों की खरीद-फरोख्त की स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है। रोज़ाना होने वाले बैनामे और उनसे आने वाले राजस्व की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सर्किल रेट निर्धारित किया जाता है। तहसीलदार और रजिस्ट्रार द्वारा सर्वे किए जाते हैं और उस आधार पर बिक्री दर तय की जाती है। इसके साथ ही विभिन्न इलाकों के बाजार मूल्य और सर्किल रेट को भी देखा जाता है ताकि सही मूल्य तय किया जा सके।