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राणा का यह ऐलान सुनते ही प्रशासन सतर्क हो गया था। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष ओकेंद्र राणा
आगरा: करणी सेना और पुलिस के बीच हुए टकराव ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। करणी सेना के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष ओकेंद्र राणा ने शुक्रवार को फेसबुक लाइव के जरिए पुलिस को खुली चुनौती देते हुए ऐलान किया कि "जिन पुलिसकर्मियों ने मेरे साथियों पर लाठीचार्ज किया, उन्हें सस्पेंड करवा कर ही रहूंगा। जरूरत पड़ी तो बड़ा आंदोलन होगा।"
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, उनका यह बयान बीते 14 मई को आगरा के नौफरी गांव में हुए कार्यक्रम लाठीचार्ज और पुलिस के साथ झड़पों के बाद आया है। ओकेंद्र राणा ने लाइव में पूरे घटनाक्रम की जानकारी देते हुए यह भी कहा कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया, बल्कि प्रशासन ने उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंचाई है।
क्या है पूरा मामला ?
ओकेंद्र राणा ने चार दिन पहले सोशल मीडिया के जरिए आगरा पुलिस को खुली चुनौती दी थी कि वह 14 मई को विशाल क्षत्रिय शक्ति सम्मेलन में शामिल होने के लिए आगरा आएंगे। राणा का यह ऐलान सुनते ही प्रशासन सतर्क हो गया था। बीते 14 मई को जैसे ही ओकेंद्र राणा आगरा के नौफरी गांव पहुंचे, वहां भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। प्रशासन का कहना था कि राणा को आयोजन की अनुमति नहीं दी गई थी। जबकि राणा समर्थकों का कहना है कि कार्यक्रम किसी सार्वजनिक स्थान पर नहीं, बल्कि निजी जमीन पर हो रहा था।
पुलिस और समर्थकों के बीच झड़प
नौफरी पहुंचने के कुछ ही देर में राणा और पुलिस अधिकारियों के बीच नोकझोंक और हॉट टॉक हो गई। समर्थकों ने पुलिस को घेर लिया। माहौल तनावपूर्ण हो गया। इसी दौरान ओकेंद्र राणा मौके से फरार हो गए। उनके जाते ही पुलिस ने लाठीचार्ज किया और करणी सेना से जुड़े 11 लोगों को शांतिभंग के आरोप में जेल भेज दिया। शाम को जब ये लोग जेल से रिहा हुए तो उन्होंने चोटें दिखाते हुए पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि पुलिस ने उन्हें बेरहमी से पीटा, जिससे हाथ-पैर तक टूट गए।
फेसबुक लाइव में ये बोले ओकेंद्र राणा
फेसबुक लाइव में ओकेंद्र राणा ने घटना का सिलसिलेवार विवरण दिया कि 14 मई को हम आगरा पहुंचे थे। मेरा जन्मदिन 15 मई को था, लेकिन साथी केक लेकर एक दिन पहले आ गए। केक काटा और सूचना मिली कि सिकरारा गांव में कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि फिर हमने पास के गांव नौफरी में एक लोहे के बोर्ड (महाराणा प्रताप के नाम का) का अनावरण करने का निर्णय लिया। कार्यक्रम निजी जमीन पर था, जहां गांव के बुजुर्गों ने हमें आमंत्रित किया था। कार्यक्रम को पुलिस ने रोका और अनावरण से इनकार किया गया। मैंने कहा- ये मेरी जमीन नहीं, गांव की निजी जमीन है, तो प्रशासन क्यों रोक रहा है? स्वाभिमान पर बात आई तो मैंने पर्दा हटा दिया।”
“अनावरण करना अपराध है क्या?”
राणा ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या महाराणा प्रताप के बोर्ड का अनावरण करना अपराध है? क्या बाबर और औरंगजेब के नाम पर बोर्ड लगेंगे? मेरे समाज का अपमान किया गया है। मेरे जाते ही मेरे भाइयों पर लाठियां बरसाई गईं। मेरे स्टाफ को सबसे ज्यादा चोटें आई हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने न सिर्फ लाठीचार्ज किया बल्कि बोर्ड को तोड़ दिया, घर के शीशे तोड़े और गांववालों को धमकाया।
“2027 में लेंगे बदला लेने की धमकी”
अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए राणा ने कहा, “जिस किसी ने यह बर्बरता की है, उन्हें सस्पेंड करवाकर रहूंगा। अगर नहीं हुए तो सरकार का विरोध भी करूंगा। 2027 में जब हमारी सरकार बनेगी, तब इन्हीं लोगों से चाय मंगवाएंगे।” राणा ने सांसद सुमन से हुई पिछली बातचीत का जिक्र करते हुए कहा, “मैं 12 अप्रैल को आया था, अब फिर आऊंगा। वही गांव, वही जगह बोर्ड फिर से लगेगा, मुख्य द्वार बनेगा। यह आंदोलन रुकेगा नहीं।”
बिना अनुमति किया गया कार्यक्रम
पुलिस और प्रशासन ने कार्यक्रम को बिना अनुमति का आयोजन बताया। पुलिस का कहना है कि किसी भी राजनीतिक के अलावा सामाजिक संगठन को कानून-व्यवस्था के खिलाफ जाकर सभा या अनावरण करने की अनुमति नहीं दी जा सकती, खासकर जब पहले ही स्पष्ट मना किया गया हो।