

प्रयागराज के लोगों की धार्मिक यात्रा बनी उनके लिए मुसीबत। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़िए की ऐसा क्या हुआ?
ईरान-इजराइल युद्ध(सोर्स इंटरनेट)
प्रयागराज: ईरान और इजराइल के बीच चल रहे संघर्ष के कारण प्रयागराज के 90 से अधिक लोग ईरान में फंस गए हैं। ये सभी लोग धार्मिक यात्रा (जियारत) के लिए ईरान गए थे। युद्ध जैसे हालात और नेटवर्क की समस्या के कारण इनका अपने परिजनों से संपर्क टूट गया है, जिससे प्रयागराज के विभिन्न इलाकों में बसे परिवारों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार, 19 मई को प्रयागराज के दरियाबाद और अन्य इलाकों से करीब 90 लोगों का एक जत्था जियारत के लिए ईरान के लिए रवाना हुआ था। ये सभी दिल्ली से उड़ान भरकर पहले ईरान और फिर तेहरान पहुंचे। इन्हें 14 जून को भारत लौटना था, लेकिन उससे पहले ही ईरान और इजराइल के बीच तनाव इतना बढ़ गया कि लोग एयरपोर्ट के रास्ते में ही फंस गए।
बीच रास्ते में फंसे
प्रयागराज के दरियाबाद निवासी एमएस खान ने बताया कि इस समूह में उनकी पत्नी, सास, मौसी और अन्य रिश्तेदार भी शामिल हैं। जब ये सभी लोग तेहरान से भारत लौटने के लिए निकले तो रास्ते में अचानक हालात बिगड़ गए। ऐसे में जब उन्होंने होटल लौटने की कोशिश की तो होटल प्रबंधन ने मना कर दिया। मजबूरी में सभी लोगों को अलग-अलग जगहों पर छोटे-छोटे समूहों में रुकना पड़ा।
रहने और खाने की है बड़ी समस्या
ईरान में हालात इतने खराब हो गए हैं कि लोगों को रहने और खाने का इंतजाम करने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि समूह में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं, जो असुरक्षा और अनिश्चितता के माहौल में काफी डरी हुई और तनाव में हैं।
परिवारों का कहना है कि जिस तरह भारत सरकार ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान ऑपरेशन गंगा के तहत भारतीयों को सुरक्षित वापस लाया था, उसी तरह उन्हें भी तुरंत निकाला जाना चाहिए।
भारत सरकार से अपील
फंसे हुए लोगों के परिजनों ने भारत सरकार से अपील की है कि युद्ध जैसे हालात में तुरंत हस्तक्षेप कर भारतीय नागरिकों को सुरक्षित घर वापस लाने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय से मदद मांगी है।
ईरान-इजराइल युद्ध की स्थिति भयावह
गौरतलब है कि पिछले 5 दिनों से ईरान और इजराइल के बीच हिंसक संघर्ष चल रहा है। अब ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई की एक पोस्ट को युद्ध की आधिकारिक घोषणा माना जा रहा है। इस घटनाक्रम ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि अमेरिका भी इस संघर्ष में कूद सकता है।