गोरखपुर में ममता की जगह क्रूरता: नवजात बच्ची को छोड़ा झाड़ी में

गोरखपुर में शनिवार सुबह करीब आठ बजे की यह घटना गोला पश्चिमी चौराहे से कौड़ीराम सड़क मार्ग पर सरयू नहर पुल के बाईं ओर, लगभग सौ मीटर दूर की नहर पटरी के किनारे घटी। राहगीरों ने कपड़ों में लिपटी हुई रोती-बिलखती बच्ची को देखा तो हड़कंप मच गया।

Gorakhpur: आखिर क्या अपराध था इस मासूम नवजात बच्ची का, जिसने नव महीनों की मां के गर्भ में रहने के बाद जन्म लेते ही क्रूर दुनिया का सामना करना पड़ा? सरयू नहर के किनारे बने पुल के पास की झाड़ियों में फेंकी गई यह दुधमुंही ने न केवल मानवता को झकझोर दिया, बल्कि पूरे समाज को शर्मसार कर दिया।

शनिवार सुबह करीब आठ बजे की यह घटना गोला पश्चिमी चौराहे से कौड़ीराम सड़क मार्ग पर सरयू नहर पुल के बाईं ओर, लगभग सौ मीटर दूर की नहर पटरी के किनारे घटी। राहगीरों ने कपड़ों में लिपटी हुई रोती-बिलखती बच्ची को देखा तो हड़कंप मच गया। शोर सुनकर लोग इकट्ठा हो गए, लेकिन सबसे पहले एक किराए के मकान में रहने वाली दयालु महिला ने अपना मातृत्व जागृत किया। उन्होंने बच्ची को गोद में उठाया और बिना सोचे-समझे अपनी संतान बनाने का संकल्प ले लिया।

घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस हरकत में आ गई। कोतवाल राहुल शुक्ला अपने हमराहों के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने तुरंत जिला चाइल्ड केयर विभाग से संपर्क किया और पूरी स्थिति से अवगत कराया। विभाग के निर्देश पर बच्ची को सुरक्षित रखते हुए उसे उसी महिला के सुपुर्द कर दिया गया, जो अब उसकी देखभाल का जिम्मा संभाल रही है।

पुलिस ने आसपास के इलाके में पूछताछ शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक मां या किसी आरोपी का सुराग नहीं लगा। क्या यह अनचाही संतान का बोझ था? या सामाजिक दबाव ने मां को इस कदम पर मजबूर किया? ये सवाल आज हर जुबान पर हैं। गोलाबाजार और आसपास के इलाकों में इस घटना ने सनसनी फैला दी है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि सरयू नहर पटरी जैसे सुनसान इलाकों में ऐसी क्रूरता आम हो रही है। "यह समाज की असफलता है। लड़कियां सुरक्षित नहीं, तो नवजात कैसे?" एक बुजुर्ग ने गुस्से से कहा। एक अन्य महिला ने बताया, "अगर मां खुद बच्ची को नहीं रख सकती, तो सरेंडर पोर्टल का इस्तेमाल क्यों नहीं? फेंकना तो हत्या ही है।" विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भपात कानूनों के बावजूद अवैध जन्म और सामाजिक कलंक के कारण ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं।

गोरखपुर जिले में पिछले एक साल में ऐसी कम से कम पांच घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं, जहां नवजातों को सड़क किनारे या नहरों में फेंक दिया गया।

चाइल्ड केयर विभाग ने बच्ची की मेडिकल जांच कराई है, जो पूरी तरह स्वस्थ है। महिला ने बच्ची का नाम 'सरयू' रखने का ऐलान किया है, जो नहर के नाम पर है। लेकिन सवाल वही है- यह क्रूरता कब थमेगी? सरकार को सख्त कानून और जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। अन्यथा, ऐसी मासूमों का भविष्य अंधकारमय ही रहेगा।

पुलिस जांच जारी है, और उम्मीद है कि जल्द ही दोषी पकड़े जाएंगे। यह घटना समाज के लिए एक कड़वा सबक है- ममता को कभी कुचलने न दें।

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