

अमेठी के इस अस्पताल में मरीजों का इलाज अब राम भरोसे है। दरअसल आपातकालीन सेवा में मोबाइल की टार्च के भरोसे मरीजों का इलाज किया जाता रहा। पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज पर
अमेठी: उत्तर प्रदेश के अमेठी के जगदीशपुर में तपती गर्मी में जहां अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है,वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था चौपट नजर आती है। सोमवार रात सीएचसी में संचालित आपातकालीन सेवा में मोबाइल की टार्च के भरोसे मरीजों का इलाज किया जाता रहा। इस बीच स्वास्थ्य केंद्र में जनरेटर व्यवस्था भी ध्वस्त रही। बड़ी बात यह है कि बिजली न आने से इस तरह से मरीजों का इलाज करीब दो घंटे तक जारी रहा।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक, अगर आप शाम को किसी मरीज को लेकर सीएचसी में इलाज करवाने जा रहे हैं तो टार्च या फिर मोबाइल साथ में लेकर जाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि आपको सीएचसी में बिजली न मिलने पर टार्च के सहारे मिल सकता है। यह हाल तब है जबकि आए दिन सूबे के स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक सीएचसी का निरीक्षण कर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए निर्देश दे रहे हैं, लेकिन सीएचसी जगदीशपुर में ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। सीएचसी खुद बीमार है।
आपातकालीन सेवा में छाया था अंधेरा
सोमवार रात करीब दस बजे उत्तम तिवारी को बुखार होने के कारण इंजेक्शन लगवाना था, तो जगदीशपुर सीएचसी में टार्च की रोशनी में इलाज करता स्वास्थ्य कर्मी व सीएचसी के आपातकालीन वार्ड में अंधेरा छाया रहा। सीमाओं अंशुमान सिंह ने मामले पर कहा केंद्र अधीक्षक से बात की जाएगी कि समस्या क्या थी। मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत मिले, इसके लिए सभी केंद्र अधीक्षक को निर्देश दिए गए हैं। कहीं भी लापरवाही मिलने पर सख्त कार्रवाई होगी।
सीएचसी में संचालित आपातकालीन सेवा में चेक करने पर वहां पर अंधेरा छाया हुआ था। कई मरीज बैठे हुए थे और स्वास्थ्य कर्मी मोबाइल जलाकर इंजेक्शन व विगो लगा रहे थे। यह सब दो घंटे से चल रहा था। बिजली की आपूर्ति नहीं थी और न ही लाखों रुपये खर्च कर रखा गया जनरेटर ही चालू था। ऐसी पीड़ा एक की नहीं कई लोगों को थी। जब इमरजेंसी में तैनात स्वास्थ्य कमियों से पूछा गया तो पता चला कि तेल खत्म हो गया है। ऐसे में जनरेटर को चालू नहीं किया जा सकता है। इस दौरान मरीजों व तीमारदारों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
अस्पताल में नहीं रुकते चिकित्सक व कर्मी
अस्पताल आए मरीज बताते हैं कि स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर किया जा सके, इसके लिए डाक्टरों को सीएचसी में रात में रुकने के आदेश दिए गए हैं, लेकिन स्थिति यह है कि कोई भी चिकित्सक अस्पताल परिसर में नहीं रुकता है। सीएचसी अधीक्षक डा. संजय कुमार भी इस पर बोलने से कतराते हैं