Hardoi News: कीचड़ में धंसी व्यवस्था; स्कूली बच्चे और ग्रामीण हो रहे परेशान, भरखनी ब्लॉक तक पहुंचना हुआ दुश्वार

जहां एक ओर सरकारें देश को स्मार्ट सिटी और हाईटेक एक्सप्रेसवे से जोड़ने का दावा कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर यूपी के हरदोई जिले में जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 8 July 2025, 5:09 PM IST
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Hardoi: उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के पाली कस्बे से भरखनी ब्लॉक मुख्यालय को जोड़ने वाली सड़क की हालत इतनी बदतर है कि वह किसी सड़क से ज्यादा कीचड़ से भरे खेत जैसी नजर आती है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस जर्जर सड़क से होकर हर रोज हजारों ग्रामीण, स्कूली बच्चे और बाइक सवार गुजरने को मजबूर हैं। जलभराव, घुटनों तक कीचड़ और गड्ढों से सनी यह सड़क न सिर्फ आवागमन में बाधा बन रही है, बल्कि लोगों के जीवन के लिए भी खतरा बन गई है। कई बार बाइक और ऑटो पलटने की घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

ब्लॉक मुख्यालय जाने का रास्ता बना चुनौती

भरखनी ब्लॉक मुख्यालय, जहां ग्रामीण अपने काम-काज, योजनाओं, पेंशन, राशन और शिकायतों के निपटारे के लिए जाते हैं, वहां पहुंचना गांववालों के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली बच्चों को उठानी पड़ती है, जिन्हें इसी सड़क से होकर स्कूल जाना होता है।

बच्चों के माता-पिता रोज इस चिंता में रहते हैं कि कहीं उनका बच्चा स्कूल जाते वक्त फिसलकर गिर न जाए या कपड़े खराब न हो जाएं। कई बार बच्चों को स्कूल से लौटते समय गिरकर चोट भी लगी है, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया है।

जिम्मेदारों की चुप्पी पर सवाल

स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार ब्लॉक कार्यालय और प्रशासन से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जनप्रतिनिधियों ने भी केवल आश्वासन देकर पीछा छुड़ा लिया। ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के वक्त नेता एक-एक वोट के लिए घर-घर आते हैं, लेकिन उसके बाद इलाके की दुर्दशा देखने कोई नहीं आता।

Rural Infrastructure Issues hardoi

रास्ता बना ग्रामीणों की मुसीबत

स्थानीय निवासी रामनरेश यादव बताते हैं, बारिश हो या न हो, ये सड़क साल भर ऐसी ही रहती है। बच्चों को लेकर स्कूल जाना, मरीज को अस्पताल ले जाना सब कुछ मुश्किल है।

जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे राहगीर

बाइक और साइकिल सवारों को हर मोड़ पर गिरने का डर बना रहता है। कुछ युवाओं ने बताया कि अगर किसी इमरजेंसी में किसी को ब्लॉक या अस्पताल ले जाना हो तो कीचड़ में फंस जाना तय है। ऑटो और ई-रिक्शा चालकों के लिए यह रास्ता सिरदर्द बन चुका है।

क्या कभी सुधरेंगी ये सड़कें?

अब सवाल उठता है कि जब यह रास्ता ब्लॉक मुख्यालय को जोड़ता है, तो इसकी देखरेख और मरम्मत की जिम्मेदारी कौन निभाएगा? क्या प्रशासन तब ही जागेगा जब कोई बड़ा हादसा होगा? ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही इस सड़क की मरम्मत नहीं हुई तो वे ब्लॉक और तहसील का घेराव करेंगे।

एक तरफ सरकार डिजिटल इंडिया और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ एक ब्लॉक मुख्यालय तक जाने वाली सड़क भी सालों से कीचड़ और बदहाली की तस्वीर पेश कर रही है। यह न सिर्फ प्रशासन की उदासीनता दर्शाता है, बल्कि ग्रामीण जनता के साथ एक क्रूर मजाक भी है। ऐसे में जरूरत है कि तत्काल हस्तक्षेप कर इस मार्ग को दुरुस्त किया जाए, ताकि लोगों को राहत मिल सके और स्कूली बच्चों का भविष्य कीचड़ में न फंसे।

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