

गोरखपुर के गगहा थाना क्षेत्र के ठिठौली गांव में 15 अगस्त 2025 को सड़क किनारे 48 वर्षीय मुस्ताक का शव मिलने से क्षेत्र में सनसनी फैल गई। अगले दिन, 16 अगस्त को सोशल मीडिया पर मुस्ताक की बेरहमी से पिटाई का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसने इस घटना को और गंभीर बना दिया। हालांकि वायरल वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन इसके बाद पुलिस तुरंत हरकत में आई।
सपा नेता जफर अमीन डक्कू के साथ पीड़ित परिवार
Gorakhpur: गोरखपुर के गगहा थाना क्षेत्र के ठिठौली गांव में 15 अगस्त 2025 को सड़क किनारे 48 वर्षीय मुस्ताक का शव मिलने से क्षेत्र में सनसनी फैल गई। अगले दिन, 16 अगस्त को सोशल मीडिया पर मुस्ताक की बेरहमी से पिटाई का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसने इस घटना को और गंभीर बना दिया। हालांकि वायरल वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन इसके बाद पुलिस तुरंत हरकत में आई। मृतक की बेटी की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर पांच आरोपियों को हिरासत में लिया गया। इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी।
19 अगस्त को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता जफर अमीन डक्कू पीड़ित परिवार को लेकर सिविल लाइन स्थित एसएसपी कार्यालय पहुंचे। चूंकि एसएसपी उस समय उपलब्ध नहीं थे, परिवार की मुलाकात एसपी सिटी से हुई। इस दौरान परिवार ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और गगहा थानाध्यक्ष की भूमिका की जांच की अपील की। परिवार का आरोप है कि मुस्ताक की मौत में पुलिस की लापरवाही साफ झलकती है। उनका कहना है कि घटना से तीन-चार दिन पहले से ही मुस्ताक किसी मामले को लेकर गगहा थाने के चक्कर काट रहा था। उसकी गाड़ी भी थाने में खड़ी थी, जिसके बावजूद पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। परिवार ने थानाध्यक्ष की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए इसकी गहन जांच की मांग की।
इस घटना ने स्थानीय पुलिस प्रशासन पर कई सवाल खड़े किए हैं। लोगों में यह चर्चा आम है कि यदि पुलिस समय पर सक्रिय होती, तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था। वायरल वीडियो ने पुलिस की कार्यशैली पर और सवाल उठाए हैं। समाजवादी पार्टी के हस्तक्षेप ने मामले को राजनीतिक रंग दे दिया है, जिससे प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है।
पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और हिरासत में लिए गए आरोपियों से पूछताछ जारी है। इस बीच, स्थानीय लोग और पीड़ित परिवार निष्पक्ष जांच और दोषियों को सजा दिलाने की मांग कर रहे हैं। यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाती है, बल्कि पुलिस और जनता के बीच विश्वास की कमी को भी उजागर करती है।
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