Gorakhpur: नगर पंचायत की लापरवाही ने छीनी किशोर की जिंदगी, टूटी बैरिकेटिंग बनी मौत का कारण

गोरखपुर के पक्का घाट पर सरयू नदी में स्नान के दौरान 18 वर्षीय की डूबने से मौत ने नगर पंचायत की लापरवाही सामने ला दी है। परिजनों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। घटना के बाद आनन-फानन में बैरिकेटिंग सुधार की कार्रवाई की गई।

Gorakhpur: गोरखपुर के गोला उपनगर के पक्का घाट पर सरयू नदी में रविवार को स्नान के दौरान एक 18 वर्षीय किशोर की डूबने से मौत ने नगर पंचायत की लापरवाही को उजागर कर दिया। मृतक किशोर निखिल प्रसाद के पिता ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर पक्का घाट पर लगाई गई बांस की बैरिकेटिंग सड़ी और कमजोर न होती, तो उनका बेटा आज जिंदा होता।

इस घटना के बाद नगर प्रशासन ने आनन-फानन में बैरिकेटिंग को दुरुस्त करवाया, लेकिन यह कदम एक जिंदगी खोने के बाद उठाया गया। स्थानीय लोगों और समाजसेवियों ने अब पक्का घाट सहित अन्य घाटों पर लोहे की सीकड़ और पीलर से मजबूत बैरिकेटिंग की मांग की है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, रविवार सुबह करीब 8 बजे गोला थाना क्षेत्र के रामपुर बघौरा निवासी निखिल प्रसाद (18) अपने दोस्तों के साथ किताब खरीदने के बहाने घर से निकला था। सुबह 9 बजे वह पक्का घाट पर स्नान करने पहुंचा। नदी में गहराई से बचने के लिए नगर पंचायत द्वारा लगाई गई बांस की बैरिकेटिंग को पकड़कर निखिल स्नान कर रहा था। अचानक सड़ा हुआ बांस दबाव पड़ने पर टूट गया और निखिल तेज धारा में बह गया। देखते ही देखते वह नदी में डूब गया। उसके दोस्तों ने शोर मचाया, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी।

पुलिस ने शुरू की जांच

पुलिस ने तुरंत स्थानीय गोताखोरों की मदद से तलाश शुरू की और बाद में एनडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंची। देर शाम तक चले तलाशी अभियान में निखिल का शव नहीं मिल सका, जिससे परिजनों का गम और गुस्सा और बढ़ गया।

Rotten barricading re-attached

सड़ी हुई बैरिकेटिंग दोबारा जोड़ी गई

पिता ने लगाया ये आरोप

निखिल के पिता विजय बहादुर ने नगर पंचायत पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पक्का घाट पर लगाई गई बांस की बैरिकेटिंग सड़ी हुई थी। जरा सा दबाव पड़ते ही वह टूट गई। अगर मजबूत बैरिकेटिंग होती, तो मेरा बेटा नदी की तेज धारा में नहीं बहता। परिजनों और स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए और कहा कि समय रहते बैरिकेटिंग की मरम्मत की गई होती, तो यह हादसा टल सकता था।

घटना के बाद जागा प्रशासन

हादसे के बाद जब स्थानीय लोग और निखिल के परिजन पक्का घाट पर जमा हुए, तो उन्होंने एक स्वर में नगर पंचायत की लापरवाही को कोसा। दबाव बढ़ता देख प्रशासन हरकत में आया और तत्काल नए बांस और रस्सी मंगवाकर बैरिकेटिंग को दुरुस्त करवाया। रात में दिखने के लिए बैरिकेटिंग पर लाल रंग का मेंटल कागज भी लगवाया गया।

हालांकि, लोगों का कहना है कि यह कदम पहले उठाया गया होता, तो एक मासूम जिंदगी नहीं खोती।

छोटी अयोध्या के नाम से मशहूर

गोला को मंदिरों की बहुतायत के कारण "छोटी अयोध्या" कहा जाता है। यहां पक्का घाट, रामजनकी घाट, शीतला घाट, बेवरी घाट और मौर्या घाट जैसे प्रमुख घाट हैं, जहां सुबह-शाम स्नानार्थियों की भीड़ रहती है। खासकर रविवार को दूर-दूर से लोग स्नान के लिए आते हैं। सावन मास में शिव जलाभिषेक के लिए कांवड़ियों की संख्या भी बढ़ जाती है, जो रात में स्नान कर कावड़ में जल लेकर सिकरीगंज, बैजनाथ जैसे शिवालयों की ओर पैदल रवाना होते हैं। समाजसेवी इन कांवड़ियों के लिए लंगर की व्यवस्था भी करते हैं।

हालांकि, पक्का घाट पर सजावट और प्रकाश की अच्छी व्यवस्था के बावजूद, बांस की कमजोर बैरिकेटिंग ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया।

समाजसेवियों ने उठाई मांग

हादसे के बाद गोला कस्बे और आसपास के समाजसेवियों ने नगर पंचायत से मांग की है कि पक्का घाट, रामजनकी घाट और शीतला घाट पर नदी में पीलर लगाकर लोहे की सीकड़ से मजबूत बैरिकेटिंग की जाए। उनका कहना है कि बांस की बैरिकेटिंग अस्थायी और असुरक्षित है, जो सावन जैसे व्यस्त महीनों में स्नानार्थियों की जान को खतरे में डालती है।

निखिल प्रसाद की मौत ने गोला नगर पंचायत की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन समय पर सतर्क होता, तो यह हादसा टल सकता था। अब सवाल यह है कि क्या नगर पंचायत इस घटना से सबक लेगी और भविष्य में ऐसी लापरवाही को रोकेगी या यह केवल एक और औपचारिकता बनकर रह जाएगा?

Location : 
  • Gorakhpur

Published : 
  • 22 July 2025, 11:44 AM IST