गोरखपुर में शोक की लहर, लोकतंत्र रक्षक सेनानी गिरिजेश सिंह नहीं रहे

गोरखपुर के ग्राम बरवल माफी में लोकतंत्र रक्षक सेनानी गिरिजेश सिंह के निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है। बीमारी के चलते हुए निधन के बाद उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनका जीवन लोकतंत्र, संघर्ष और समाजसेवा का प्रतीक रहा।

Gorakhpur: सुबह की शुरुआत गांव बरवल माफी के लिए किसी सदमे से कम नहीं थी। जिस शख्स ने आपातकाल जैसे काले दौर में लोकतंत्र की आवाज को जिंदा रखा। वही आवाज आज हमेशा के लिए खामोश हो गई। बीमारी से जूझ रहे लोकतंत्र रक्षक सेनानी गिरिजेश सिंह का रविवार को निधन हो गया। जैसे ही यह खबर गांव और आसपास के इलाके में फैली। हर चेहरे पर सन्नाटा और आंखों में नमी दिखाई देने लगी। पूरा इलाका शोक में डूब गया।

बीमारी से हार गया संघर्षशील जीवन

लोकतंत्र रक्षक सेनानी गिरिजेश सिंह पुत्र स्वर्गीय शिवपूजन सिंह की उम्र करीब 78 वर्ष थी। बताया जा रहा है कि वह पिछले काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे और इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। जीवन भर संघर्ष और सिद्धांतों के साथ खड़े रहने वाले गिरिजेश सिंह का जाना न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक बड़ी क्षति माना जा रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन और आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा में उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।

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राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई

निधन की सूचना मिलते ही प्रशासन सक्रिय हुआ। शासन के निर्देशानुसार उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। गांव में आयोजित अंतिम संस्कार में पुलिस बल द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। प्रशासनिक अधिकारियों ने पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। जनप्रतिनिधि, ग्रामीण और सामाजिक लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे। माहौल गमगीन था, लेकिन हर किसी के चेहरे पर सम्मान और गर्व की भावना साफ नजर आ रही थी।

लोकतंत्र के लिए प्रेरणास्रोत

अंतिम संस्कार के दौरान मौजूद अधिकारियों ने कहा कि गिरिजेश सिंह ने आपातकाल के समय लोकतंत्र की रक्षा के लिए जो साहस दिखाया। वह आज की पीढ़ी के लिए एक मिसाल है। उन्होंने निडर होकर अपने अधिकारों और संविधान की रक्षा की। उनका संघर्ष और त्याग कभी भुलाया नहीं जा सकता और आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।

गांव के लिए सिर्फ नेता नहीं

गांव के लोगों का कहना है कि गिरिजेश सिंह बेहद सरल, मिलनसार और मददगार स्वभाव के थे। समाजहित के कार्यों में वह हमेशा आगे रहते थे। युवाओं को लोकतंत्र, संविधान और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा था। गांव में कोई भी सामाजिक काम हो। उनकी मौजूदगी तय मानी जाती थी। नम आंखों से ग्रामीणों ने उन्हें अंतिम विदाई दी।

गर्व और गहरा दुख

परिवारजनों ने बताया कि स्वर्गीय गिरिजेश सिंह ने जीवन भर देश और समाज को सर्वोपरि रखा। राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होना परिवार के लिए गर्व की बात है लेकिन उनके जाने का दुख शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।

Location : 
  • गोरखपुर

Published : 
  • 29 December 2025, 1:05 AM IST