थैले में बेटे का शव लिए डीएम ऑफिस पहुंचा पिता, अधिकारियों के भी छलके आंसू, जानें पूरा मामला

एक पिता अपने नवजात बेटे का शव थैले में रखकर डीएम ऑफिस पहुंचा, जहां अधिकारियों की आंखें नम हो गई। गोलदार अस्पताल में बच्चे की संदिग्ध मौत के बाद जांच हुई और अस्पताल को सील कर दिया गया। प्रशासन की तत्परता ने पीड़ित को थोड़ी राहत दी, लेकिन सवाल गहरे हैं।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 23 August 2025, 6:26 AM IST
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Lakhimpur: लखीमपुर जिले में एक पिता की आंखों के सामने जब उसके नवजात बेटे की जिंदगी छीनी गई, तो वह दर-दर भटकता रहा। कंधों पर टूटे सपनों का बोझ और हाथ में बेटे का शव लिए। यह देख ना केवल दिल को झकझोर देने वाला था, बल्कि डॉक्टरों पर भी गहरा सवाल खड़ा कर गया।

थैले में शव को लेकर पहुंचा पिता

पीड़ित विपिन अपने नवजात बेटे का शव एक थैले में रखकर कलेक्ट्रेट स्थित डीएम कार्यालय पहुंचा। उस समय वहां उच्च स्तरीय बैठक चल रही थी। जैसे ही अधिकारियों की नजर थैले पर पड़ी और विपिन ने बताया कि उसमें उसके बेटे का शव है तो पूरे कार्यालय में सन्नाटा छा गया। अधिकारियों के चेहरे की हवा उड़ गई।

विपिन बिलखते हुए बार-बार एक ही बात दोहराता रहा

"साहब, किसी तरह मेरे बच्चे को जिंदा कर दो। उसकी मां दूसरे अस्पताल में भर्ती है…मैंने कहा है कि बच्चे की हालत ठीक नहीं है, इसलिए दूसरी जगह शिफ्ट किया है। अब आप ही बताइए, उसे क्या जवाब दूं?"

उसकी ये बात सुनकर वहां मौजूद सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता और एसडीएम सदर अश्विनी कुमार सिंह की आंखें भी नम हो गई। अधिकारियों ने विपिन को ढांढस बंधाया और तुरंत ही मामले की गंभीरता को देखते हुए मेडिकल टीम के साथ गोलदार अस्पताल पहुंचकर जांच शुरू की।

जांच में सामने आया कि अस्पताल की कार्यप्रणाली में कई खामियां थी। डीएम के निर्देश पर तत्काल प्रभाव से अस्पताल को सील कर दिया गया। इसके अलावा अस्पताल में भर्ती तीन अन्य मरीजों को सुरक्षित रूप से जिला महिला अस्पताल शिफ्ट कराया गया।

सात साल बाद फिर थी घर में खुशियों की दस्तक

विपिन के परिवार में सात साल बाद यह खुशी का मौका आया था। उसका एक सात वर्षीय बेटा पहले से है और अब दूसरी संतान ने जन्म लिया था। लेकिन जन्म के कुछ ही घंटे बाद बच्चे की मौत हो गई। परिवार की खुशियां मातम में बदल गईं।

प्रशासन की तत्परता सराहनीय, लेकिन सवाल बाकी

प्रशासन द्वारा तत्काल की गई कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन इस घटना ने यह सवाल जरूर खड़ा कर दिया है कि क्या ऐसे अस्पतालों की मॉनिटरिंग पहले से नहीं की जा सकती थी? क्या किसी और परिवार को भी इसी तरह अपने नवजात के शव को लेकर न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा?

Location : 
  • Lakhimpur

Published : 
  • 23 August 2025, 6:26 AM IST