Bareilly News: चर्चित व्यापारी मुकुल गुप्ता फर्जी एनकाउंटर में कमिश्नर समेत 6 पुलिसकर्मी बरी, सीबीआई ने नहीं पेश किए थे सबूत

दवा व्यवसायी के फर्जी एनकाउंटर में हुई हत्या और लूट के मुकदमे में सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी छह आरोपियों साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। मामले की पूरी जानकारी के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज की रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 28 April 2025, 2:54 PM IST
google-preferred

बरेली: सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने सोमवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है। चर्चित दवा व्यवसायी मुकुल गुप्ता के फर्जी एनकाउंटर में हुई हत्या और लूट के मुकदमे में सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 6 आरोपी पुलिसकर्मियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार, इस मामले में तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक (ट्रेनी आईपीएस) के अलावा जे. रविंद्र गौड़ (वर्तमान में गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर) और दो सिपाहियों के खिलाफ कोई सबूत न मिलने के कारण सीबीआई ने चार्जशीट ही दाखिल नहीं की थी।

इन पुलिसकर्मियों पर था आरोप

आईपीएस अफसर जे रविंदर गौड के साथ-साथ फर्जी मुठभेड़ में आरक्षी गौरी शंकर विश्वकर्मा, जगवीर सिंह, वीरेंद्र शर्मा, उपनिरीक्षक विकास सक्सेना (वर्तमान में यूपी पुलिस में इंस्पेक्टर), मूला सिंह और देवेंद्र कुमार शर्मा को भी आरोपी बनाया गया था।

पिता ने दर्ज कराया था मुकदमा

यह घटना 2007 की है। इस घटना की रिपोर्ट मुकुल गुप्ता के पिता ब्रजेंद्र कुमार गुप्ता ने फतेहगंज पश्चिमी थाने में दर्ज कराई थी। मुकुल दवा व्यवसायी था जिसके वजह से उसके पास अक्सर एक लाख रुपये रहा करते थे। अधिकारियों पर आरोप ये था कि बरेली में प्रशिक्षण ले रहे ट्रेनी आईपीएस अधिकारी ने अधिकारियों को खुश करने और पुरस्कार पाने के उद्देश्य से गिरोह को खत्म करने की योजना बनाई। इस योजना में दारोगा और मुखबिर विक्की शर्मा उर्फ धर्मपाल तथा विक्की के रिश्तेदार पंकज उर्फ करण का साथ लिया गया।

हत्या की बनाई गई योजना

वादी ब्रजेंद्र कुमार गुप्ता के मुताबिक घटना 30 जून 2007 की है जब मुकुल गुप्ता, पंकज के रिक्शे में सवार होकर जा रहा था। तभी रास्ते में कोतवाली के दरोगा ने रिक्शा रुकवाया और मुकुल से मोबाइल व एक लाख रुपये लूट लिए और उसके बाद ने मुकुल को फतेहगंज क्षेत्र के रुकुमपुर-माधवपीड़ रेलवे स्टेशन के पास टाटा सूमो में बैठाया एके-47 से अंधाधुंध फायरिंग कर उसकी हत्या कर दी गई और इस हत्या को फर्जी मुठभेड़ बताकर उसके बाद में मुकुल के खिलाफ ही हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।

हाई कोर्ट ने दिया जांच का आदेश

मुकुल गुप्ता के पिता ब्रजेंद्र कुमार गुप्ताने इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर वर्ष 2010 में सीबीआई ने जांच शुरू की और 17 जून 2010 को मामला दर्ज किया। जांच के बाद सीबीआई ने 20 अगस्त 2014 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। मुकदमें के दौरान ही इस मामले के तीन आरोपियों की मृत्यु हो गयी है। वकील विशाल टहलयानी के मुताबिक इस मामले में पर्याप्त सबूत न होने के की वजह से अदालत ने अन्य बचे हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

Location :