

पीड़ित पत्रकार ने बताया कि वह विकास भवन में ड्यूटी पर तैनात हैं। उनके खिलाफ यह मुकदमा ग्राम प्रधान के साथ पुराने रंजिश के चलते दर्ज किया गया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
पीड़ित पत्रकार
फर्रूखाबाद: पुलिस द्वारा एक पत्रकार पर फर्जी मारपीट और गाली-गलौज का मुकदमा दर्ज करने की घटना ने जिले के पत्रकारों को आक्रोशित कर दिया है। पीड़ित पत्रकार का आरोप है कि पुलिस ने जानबूझकर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है, जबकि वह हाल ही में एक ऑपरेशन से उबरने के बाद चलने में असमर्थ हैं। साथ ही पत्रकार के पिता को भी इस फर्जी मुकदमे में आरोपी बनाया गया है। इस घटना के बाद पत्रकार ने पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई है और मामले की जांच की मांग की है।
पीड़ित पत्रकार ने बताया कि वह विकास भवन में ड्यूटी पर तैनात हैं। उनके खिलाफ यह मुकदमा ग्राम प्रधान के साथ पुराने रंजिश के चलते दर्ज किया गया। उनका कहना है कि पुलिस ने ग्राम प्रधान से साठ-गांठ कर इस मुकदमे को लिखा है। पत्रकार ने बताया कि उनका इलाज चल रहा है और वह पैर के ऑपरेशन के बाद चलने में असमर्थ हैं, फिर भी उनके खिलाफ मारपीट और गाली-गलौज का मुकदमा दर्ज किया गया। पत्रकार ने यह भी बताया कि इस मामले में उनके पिता को भी आरोपी बना दिया गया जो पूरी तरह से निर्दोष हैं। उनका कहना है कि यह पूरी तरह से झूठा आरोप है। जिसे पुलिस ने ग्राम प्रधान के दबाव में आकर दर्ज किया है।
पत्रकारों में आक्रोश
फर्जी मुकदमे की जानकारी मिलते ही जिले के पत्रकारों में आक्रोश फैल गया। पत्रकारों ने पुलिस के इस कृत्य की कड़ी निंदा की और पुलिस प्रशासन से मांग की कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। पीड़ित पत्रकार ने पुलिस अधीक्षक आरती सिंह से न्याय की गुहार लगाई और मामले की जांच करने की अपील की है।
एसपी आरती सिंह का बयान
पुलिस अधीक्षक आरती सिंह ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मामला उनके ध्यान में आया है और उन्होंने जांच के आदेश दे दिए हैं। एसपी ने बताया कि जांच के बाद यदि यह पाया गया कि थाना अध्यक्ष ने फर्जी मुकदमा दर्ज करवाया है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस प्रशासन किसी को भी इस तरह से परेशान करने की अनुमति नहीं देगा और यदि जांच में कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
इस घटना के बाद पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। विशेष रूप से पत्रकारों द्वारा यह आरोप लगाया जा रहा है कि पुलिस ने जानबूझकर और राजनीतिक दबाव में आकर यह मुकदमा दर्ज किया। पत्रकारों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं मीडिया की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकती हैं और उन्हें डर दिखाने की कोशिश की जा रही है।