

जालौन में विद्युत विभाग के कर्मचारियों का आंदोलन तेज हो गया है। डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़िये पूरी खबर
विद्युत कर्मचारियों का आंदोलन जारी
जालौन: विद्युत विभाग के कर्मचारियों का निजीकरण के विरोध में आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे इस आंदोलन में कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ अपना रुख और सख्त कर लिया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कर्मचारियों का कहना है कि जब तक सरकार निजीकरण की प्रक्रिया को पूरी तरह से रद्द करने की घोषणा नहीं करती, तब तक उनका यह विरोध प्रदर्शन अनवरत जारी रहेगा। इस आंदोलन में शामिल कर्मचारियों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने समय रहते अपना फैसला वापस नहीं लिया, तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
आम जनता को हो रही परेशानी
आंदोलन के प्रमुख नेताओं में शामिल अवर अभियंता संघ के जिलाध्यक्ष जगदीश वर्मा ने कहा कि निजीकरण का यह कदम न केवल कर्मचारियों के हितों के खिलाफ है, बल्कि इससे आम जनता को भी बिजली की बढ़ती कीमतों और खराब सेवाओं का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि यह आंदोलन केवल जालौन जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में विद्युत कर्मचारी इस नीति के खिलाफ एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं। जगदीश वर्मा ने जोर देकर कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर तुरंत विचार करना चाहिए और कर्मचारियों की मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए।
वहीं प्राविधिक संघ दक्षिणांचल के उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने आंदोलन को और व्यापक बताते हुए कहा कि पूरे प्रदेश में कर्मचारियों में भारी आक्रोश है। उन्होंने कहा कि निजीकरण की नीति से न केवल कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में पड़ेंगी, बल्कि यह बिजली क्षेत्र की गुणवत्ता और उपलब्धता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। देवेंद्र सिंह ने सरकार से मांग की कि वह इस नीति को तत्काल रद्द करे और कर्मचारियों के साथ संवाद स्थापित कर उनकी चिंताओं को दूर करे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट नहीं करती, तो कर्मचारी और बड़े स्तर पर आंदोलन को तेज करने के लिए मजबूर होंगे।
बड़ी संख्या में आंदोलन में शामिल हुए कर्मचारी
आंदोलन में बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल हुए, जिनमें गौरव कुमार, राकेश सिंह, मोहम्मद शफीक, पूनम वर्मा, कुसुमलता, अंकित साहनी, अमान पांडेय, नवीन कंजोलिया, सत्यप्रकाश, रवि यादव और अमन खान समेत कई कर्मचारी प्रमुख रूप से मौजूद रहे। प्रदर्शनकारियों ने ऐलान किया कि उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती। कर्मचारियों ने नारे लगाकर और धरना देकर अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया।